World Health Day : साई इन्स्टीट्यूट में “हमारा ग्रह और हमारा स्वास्थ्य” विषय पर कार्यशाला का आयोजन
- ‘वर्ल्ड हैल्थ डे’ के मौके पर साईं इंस्टीट्यूट में “हमारा ग्रह और हमारा स्वास्थ्य” विषय पर एक दिवसीय कार्यशाला आयोजित
- जल गुणवत्ता पर दी गई हैंड्स ऑन ट्रेनिंग
देहरादून। साई इंस्टीट्यूट ऑफ पैरामेडिकल एंड एलायड साइंसेज ने ‘वर्ल्ड हेल्थ डे’ के अवसर पर एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया। इस दौरान वैज्ञानिकों ने ‘हमारा ग्रह और हमारा स्वास्थ्य’ विषय पर रोचक व तथ्यात्मक जानकारी प्रदान की।
कार्यक्रम समन्वयक ज्योति पंत जुयाल ने कार्यक्रम की रूपरेखा प्रस्तुत करते हुए अतिथियों का परिचय कराया। साईं इंस्टीट्यूट की वाइस चेयरपर्सन श्रीमती रानी अरोड़ा ने अपने संबोधन में उपस्थित प्रतिभागियों से अपने पर्यावरण और अपने स्वास्थ्य पर विशेष ध्यान देने का आवाहन किया। संस्थान की प्राचार्या डॉ संध्या डोगरा ने अतिथियों का स्वागत किया तथा वर्ल्ड हैल्थ डे पर अपने विचार रखे।
शुक्रवार को कार्यक्रम के तकनीकी सत्र का पहला व्याख्यान ओ एन जी सी के पूर्व मुख्य महाप्रबंधक डॉ दीवान सिंह रावत ने “इको सिस्टम मैटर्स टू हैल्थ एंड वैलनेस” विषय पर दिया। उन्होंने कहा कि अगर पर्यावरण शुद्ध होगा तब हम सभी भी स्वस्थ होंगे। पानी, हवा, मिट्टी, जंगलों की रक्षा करके हम अपने पर्यावरण को संरक्षित कर सकते हैं। पारितंत्र सेवाओं के द्वारा पर्यावरण का संरक्षण व अध्ययन किया जाना आवश्यक है। हम अपनी जीवन शैली में परिवर्तन करके, पर्यावरण अनुकूल व्यवहार के द्वारा अपने घर एवं अपने जीवन को स्वस्थ रख सकते हैं और बीमारियों से बचे रह सकते हैं।
कार्यक्रम में दूसरा तकनीकी व्याख्यान यूसर्क के वैज्ञानिक डॉ भवतोष शर्मा ने “वाटर रिसोर्सेस एंड ह्यूमन हेल्थ” विषय पर व्याख्यान दिया। डॉ शर्मा ने उपस्थित प्रतिभागियों को भारत के विभिन्न जल संसाधनों के बारे में विस्तार से बताते हुए जल संसाधनों के वर्तमान स्वरूप, उनकी स्थिति व वैज्ञानिक प्रबंधन के बारे में विस्तार से बताया। उन्होंने कहा कि पृथ्वी ग्रह के संरक्षण से इस पर निवास करने वाले सभी जीवों का संरक्षण होगा। इसलिए जल संसाधनों के उचित प्रबंधन, संरक्षण, वर्षाजल संचयन आदि से आने वाले समय में जल की बढ़ती हुई मांग के अनुरूप उपलब्धता सुनिश्चित की जा सकती है l भूजल रिचार्ज की विभिन्न विधियों को अपनाकर, कृषि, उद्योग एवं अन्य घरेलू कायों में मिताव्यता के साथ जल के प्रयोग के साथ भूजल प्रबंधन किया जा सकता है। डॉ शर्मा ने जल के विभिन्न पैरामीटर्स की जानकारी देते हुए उनकी जल में अधिकता होने अथवा कमी होने पर स्वास्थ्य पर प्रभाव के बारे में विस्तार से बताया।
डॉक्टर शर्मा ने द्वितीय तकनीकी सत्र में प्रतिभागियों को जल गुणवत्ता के परीक्षण एवम् विश्लेषण विषय पर हैंड्स ऑन ट्रेनिंग प्रदान की। उन्होंने जल में उपस्थित फ्लोराइड, नाइट्रेट, हार्डनेस, कॉलीफार्म, टीडीएस, टर्बिडिटी, पीएच, अलकलिनिटी आदि का परीक्षण करना सिखाया तथा उपस्थित प्रतिभागियों के प्रश्नों का समाधान प्रदान किया। साई इंस्टीट्यूट की डॉ प्राची सेठ ने “महिला स्वास्थ्य हेतु जागरूकता” विषय पर अपना व्याख्यान दिया। उन्होंने महिलाओं में होने वाले विभिन्न छोटे एवम् बड़ी बीमारियों के बारे में विस्तार से बताया। उन्होंने कोलेस्ट्रॉल के बढ़ने, ब्रेस्ट कैंसर के कारण, गठिया, ओस्टियोपोरोसिस, प्रेगनेंसी आदि के बारे में विस्तार से बताया एवम् इनसे बचने के उपायों पर जानकारी दी। उन्होंने साधारण सुपाच्य एवम् पोषण युक्त भोजन करने तथा नियमित व्यायाम करने को कहा जिससे महिलाएं स्वस्थ रह सकें।
कार्यक्रम में संस्थान के विभिन्न विभागों के 180 छात्र छात्राओं एवम् शिक्षकों ने प्रतिभाग किया। कार्यक्रम का धन्यवाद ज्ञापन प्राचार्य डॉ संध्या डोगरा ने किया एवम् कार्यक्रम का संचालन ज्योति पंत जुयाल ने किया। कार्यक्रम में मुख्य रूप से साईं इंस्टीट्यूट के निदेशक जिबी सेबेस्टियन ने अपने संबोधन में मानव स्वास्थ्य एवं पर्यावरण विषय पर हुई कार्यशाला को बहुत उपयोगी बताया। कार्यक्रम में मुख्य रूप से श्रुति अग्रवाल, मेघा मिश्रा, डॉ प्राची सेठ, प्रीति भट्ट, अर्चना कंडारी, आशा पाल, विद्या चौहान आदि के द्वारा सक्रिय सहयोग प्रदान किया गया।