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देहरादून। प्रदेश में तीन साल से खाली पड़े पद खत्म होंगे। प्रदेश सरकार ने विधानसभा में पेश पांचवे राज्य वित्त आयोग की रिपोर्ट पर जो कार्यवाही ज्ञापन रखा है उसमें यह सिफारिश मान ली गई है। सरकार ने कहा है कि कार्मिक विभाग इस बाबत जरूरी कार्यवाही करेगा।
दरअसल पांचवे राज्य वित्त आयोग ने सिफारिश की थी कि आवश्यक सेवाओं को प्रदान करने वाले और भर्ती में देरी के कारण को छोडकर तीन वर्षों से अधिक समय से रिक्त पड़े पदों को समाप्त करके विभागों के सही आकार यानी विभागीय ढांचा छोटा करने की आवश्यकता है। इसके अलावा सिफारिश की थी कि समान कार्यों वाले विभागों का विलय कर दिया जाए ताकि खर्च कम हो सके। यही नहीं पंचम राज्य वित्त आयोग ने सिफारिश की है कि ऐसे कर्मचारी जिन्हें कहीं और समायोजित नहीं किया जा सकता है। उनसे छुटकारा पाने के लिए एक उपयुक्त स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति योजना तैयार की जानी चाहिए। इस सिफारिश को भी सरकार ने मंजूर कर लिया है।
गौरतलब है कि ताजा केंद्रीय सांख्यिकी एवं कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय के राष्ट्रीय सांख्यकीय कार्यालय के आवधिक श्रमबल सर्वेक्षण के मुताबिक देश में 15 से 29 साल के शहरी युवाओं में बेरोजगारी के मामले में 36.6 फीसद बेरोजगारी दर के साथ उत्तराखंड देश में चौथे स्थान पर है। सभी आयु वर्ग के शहरी बेरोजगारों की बात करें तो उत्तराखंड 17 फीसद बेरोजगारी दर के साथदेश में छठे स्थान पर है। इसमें भी केरल 24.4 फीसद के साथ पहले पायदान पर है। सरकार ने वेतन, भत्ते और पेंशन का खर्च कम करने के लिए आयोग की विभागों के पुनर्गठन के लिए राज्य सरकार द्वारा गठित एक समिति की सिफारिशों पर कार्रवाई करने की सिफारिश भी मान ली है।
माना जा रहा है कि इससे भी रोजगार कम ही होंगे। बता दें कि 2017 में भी तत्कालीन प्रदेश सरकार ने करीब पांच हजार पदों को सीज कर दिया था यानी उनमें भर्ती पर रोक लगा दी थी। सिंचाई, अस्पताल सेवाओं, पेयजल और अन्य शुल्क सेवाओं के शुल्क का पुनरीक्षण किया जाएगा। यानी पानी बिजली स्वास्थ्य सेवाएं मंहगी होनी तय है।
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