पितरों के मोक्ष एवं जीवन में रिद्धि-सिद्धि के मार्ग को प्रशस्त करती है श्रीमद् भागवत एवं देवी भागवत महापुराण ज्ञान यज्ञ
प्रस्तुति: डॉ विक्रम सिंह बर्त्वाल
पितरों के मोक्ष एवं जीवन में रिद्धि-सिद्धि के मार्ग को प्रशस्त करने के लिए श्रीमद् भागवत एवं देवी भागवत महापुराण ज्ञान यज्ञ का परायण अति आवश्यक है। यह विचार प्रसिद्ध कथा वाचक आचार्य द्वारिका प्रसाद गौड़ एवं आचार्य शिव स्वरूप नौटियाल ने श्रीमद् भागवत के साहित्यिक अवतार को व्यास गद्दी से प्रवचन के रूप में प्रकट करते हुए व्यक्त किये।
बीती 2 सितंबर से जनपद रुद्रप्रयाग की ग्राम पंचायत कुंडा-दानकोट के अंतर्गत दानकोट गांव में बर्त्वाल बंधुओं द्वारा सात दिवसीय श्रीमद् भागवत एवं देवी भागवत महापुराण ज्ञान यज्ञ का आयोजन किया जा रहा है। सात दिवसीय इस ज्ञान यज्ञ के प्रथम दिवस में आचार्यों एवं कुल पुरोहितों ने व्यास पीठ के निकट स्थापित भद्र पूजा स्थल पर गणेश पूजन, पंच पूजन के साथ पंचकोटी ग्रामों की आराध्या मां चंडिका और तुंगनाथ जी के( बलमा) निशान को शोभा यात्रा के साथ भद्र क्षेत्र में स्थापित किया।
इसके उपरांत आचार्य शिव स्वरूप नौटियाल ने देवी भागवत एवं आचार्य द्वारिका प्रसाद गौड़ ने श्रीमद् भागवत की कथाओं, आख्यानों के सुमधुर प्रस्तुतीकरण एवं संस्कृत श्लोकों और गीतों के माध्यम से भागवत रसा अमृत का रसोपान उपस्थित भक्तों को कराया। आचार्य गौड़ ने बताया कि श्रीमद् भागवत में भगवान सुखदेव ने महाराजा परीक्षित को भक्ति मार्ग, साधन ज्ञान एवं सिद्ध ज्ञान के बारे में बताया जिससे कि आने वाली पीढ़ियां सन्मार्ग पर चल सकें। उन्होंने बताया कि श्रीमद् भागवत के पाठ एवं भगवत भक्ति से “स्वयंतक मणि “जैसे रत्नों की प्राप्ति संभव है, जिसको प्राप्त करने की इच्छा स्वयं श्री कृष्ण भगवान ने भी की थी। उन्होंने पितरों की शांति,रोग- शोक, पारिवारिक अशांति के निवारण तथा खुशहाली के लिए भगवान के श्रीमद भागवत स्वरूप को अचूक बताया।
आचार्य शिव स्वरूप नौटियाल ने देवी भागवत महापुराण पर प्रवचन करते हुए कहा कि देवी भागवत महापुराण की कथा श्रवण मात्र से ही रिद्धि सिद्धि की प्राप्ति होती है तथा आदि भौतिक, आदि दैविक एवं आदि दैहिक कष्टों का निवारण होता है, उन्होंने देवभूमि उत्तराखंड में अवस्थित बूंखाल, धारी, चंद्रवदनी, काली माई आदि देवियों के सुमधुर गढ़वाली गीतों का गायन भी किया। नित्य प्रति पूजा अनुष्ठान, प्रवचन एवं भंडारे के अलावा ज्ञान यज्ञ के चौथे दिन श्री कृष्णा जन्मोत्सव छठवें दिन हवन, पंचांग पूजन एवं कथासार तथा सातवें दिन पंचांग पूजा प्रवचन, यज्ञ पूर्णाहुति, गौदान, श्री संवाद, ब्रह्मभोज एवं पित्र प्रसाद के कार्यक्रम विशेष अनुष्ठानिक कार्यक्रमों में शामिल रहे, जिनमें कुल पुरोहित आशुतोष वशिष्ठ की विशेष मौजूदगी बनी रही।
इस धार्मिक आयोजन के लिए आयोजक परिवार द्वारा कथा स्थल को भव्य रूप से सजाया गया था। पंडाल को व्यासपीठ, भद्र, सभा मंडप संगीत क्षेत्र एवं अन्न क्षेत्र में विभाजित किया गया था। इस अवसर पर आयोजक परिवार के कुलदीप सिंह बर्त्वाल, प्रदीप सिंह बर्त्वाल, परवेंद्र सिंह बर्त्वाल, जेवेन्द्र सिंह बर्त्वाल के अलावा सगे-संबंधी समस्त बर्त्वाल बंधु एवं पड़ोसी गांवों के ग्रामीणों द्वारा भक्ति भाव से श्रीमद् भागवत कथा का रासोपान किया गया एवं पितरों का आशीर्वाद प्राप्त किया।
अनुष्ठान की सफल पूर्णाहुति पर आयोजक परिवार ने प्रत्यक्ष एवं परोक्ष रूप से इस ज्ञान यज्ञ से जुड़े सभी सहयोगियों का आभार प्रकट किया है। इसके साथ ही आज 7 दिवसीय श्रीमद् भागवत एवं देवी भागवत महापुराण ज्ञान यज्ञ का ढोल-नगाड़े आदि संगीत यंत्रों की मधुर ध्वनियों के बीच प्रसाद वितरण के साथ समापन हो गया।