- रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने किया सैनिक कार्यवाही का ऐलान
- कहा; रूस का यूक्रेन पर कब्जा करना मकसद नहीं, यूक्रेन के विसैन्यीकरण का लक्ष्य
न्यूज डेस्क। रूस और यूक्रेन के बीच हालात दिन प्रतिदिन बदतर होते जा रहे हैं। जहां पिछले कुछ दिनों से रूस यूक्रेन को सैन्य कार्यवाही के लिए चेता रहा था, वहीं अब रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने सैनिक कार्यवाही का ऐलान भी कर दिया है। इसके बाद लगातार सीमाओं पर तथा यूक्रेन के कुछ इलाकों पर बमबारी भी शुरू हो गई है। Ukraine पर सैनिक कार्यवाही की घोषणा करते हुए Russia के राष्ट्रपति व्लादीमीर पुतिन ने कहा, कि यूक्रेन की सेना को हथियार डाल देने चाहिए। इसके साथ ही उनके द्वारा अन्य अन्य देशों को भी चेतावनी जारी करते हुए कहा गया है कि वह किसी भी प्रकार से Russia के द्वारा की जा रही कार्यवाही में हस्तक्षेप ना करें अन्यथा इस प्रकार के परिणाम होंगे जो पहले कभी देखे नहीं होंगे।
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व्लादीमीर पुतिन ने आगे यह भी कहा कि उनकी योजनाओं में यूक्रेन के क्षेत्र पर कब्जा करना शामिल नहीं है। हम सिर्फ यूक्रेन के विसैन्यीकरण का लक्ष्य लिए हुए हैं। इसके साथ ही खबरें यह भी आ रही है कि पूर्वी यूक्रेन के डोनेटस्क में गुरुवार सुबह कम से कम 5 बम धमाके किए गए हैं। राष्ट्रपति पुतिन के इस ऐलान के बाद यूक्रेन में भी अब आपातकाल की घोषणा कर दी गई है। इसके साथ ही यूक्रेन के राष्ट्रपति व्लोदीमिर जेलेंस्की ने रूसी राष्ट्रपति से बातचीत की भी कोशिश की लेकिन उनकी ओर से कोई प्रतिक्रिया नहीं आई, साथ ही यूक्रेन के राष्ट्रपति अमेरिकी राष्ट्रपति जो बिडेन से भी बातचीत कर रहे हैं।
जानिए क्या है रूस और यूक्रेन के विवाद का कारण?
- यह बात दिसंबर 2021 के मध्य की है। रूस ने अमेरिका समेत पश्चिमी देशों को अपनी मांगों के बारे में बताया था। रूस पश्चिमी देशों से लिखित आश्वासन चाहता था कि नाटो (नॉर्थ अटलांटिक ट्रीटी ऑर्गेनाइजेशन) के पूर्व की तरफ न बढ़ें। इसके अलावा रूस ने पोलैंड व बाल्टिक राज्यों से नाटो की सेनाओं को हटाने और यूरोप से अमेरिकी न्यूक्लियर हथियार हटाने की शर्त रखी थी। इन मांगों में सबसे अहम यह रहा कि यूक्रेन को कभी नाटो में शामिल होने की मंजूरी न मिले। अमेरिका समेत पश्चिमी देशों ने इसे स्वीकार नहीं किया।
- न्यूयॉर्कर के एडिटर डेविड़ रैमनिक 1987-1991 के बीच वाशिंगटन पोस्ट करेस्पोंडेंट थे। अपनी पुस्तक Lenin’s Tomb: Last Days of the Soviet Empire में उन्होंने लिखा कि लेनिन के लिए यूक्रेन को खोना रूस का सिर कटने जैसा है। उधर राष्ट्रपति पुतिन भी सोवियत संघ के विघटन को पिछली सदी की सबसे बड़ी त्रासदी मानते हैं और वह लगातार सोवियर संघ से अलग हुए देशों में रूस के प्रभाव को फिर से बनाए रखने की कोशिश में हैं। पुतिन के मुताबिक रूस और यूक्रेन एक ही इतिहास और आध्यात्मिक विरासत साझा करते हैं।
- बीती सदी में 90के दशक के दौरान व शीत युद्ध की समाप्ति के बाद नाटो का विस्तार पूर्व की तरफ हुआ, और इसमें वे भी देश शामिल हुए जो पहले सोवियत संघ का हिस्सा थे। रूस ने इसे खतरे के तौर पर देखा। यूक्रेन वर्तमान में इसका हिस्सा तो नहीं है लेकिन यूक्रेन ने नाटो देशों के साथ संयुक्त सैन्य अभ्यास और अमेरिकी एंटी टैंक मिसाइल्स जैसे हथियारों के हासिल करने से रूस चौकन्ना हो गया। पुतिन की मानें तो नाटो रूस पर मिसाइल के हमले के लिए यूक्रेन का लॉन्चपैड के तौर पर इस्तेमाल कर सकता है। नाटो की वेबसाइट पर टारस कुजियो के लेख के मुताबिक मौजूदा संकट की सबसे बड़ी वजह ये है कि रूस वापस यूक्रेन को अपने प्रभाव में शामिल करना चाहता है।
- इस विवाद की एक वजह आर्थिक भी है क्योंकि रूस यूनियन का खर्च अपनी दूसरी सबसे बड़ी इकोनॉमी यानी यूक्रेन के बिना नहीं उठा सकता है।
- रूस की भौगोलिक स्थिति भी विवाद का एक बड़ा कारण है। रूस के बाद यूक्रेन यूरोप का दूसरा सबसे बड़ा देश है। यूक्रेन के पास काला सागर के पास अहम पोत हैं और इसकी सीमा चार नाटो देशों से मिलती है। यूरोप की जरूरत का एक तिहाई नेचुरल गैस रूस सप्लाई करता है और एक प्रमुख पाइपलाइन यूक्रेन से होकर गुजरता है। ऐसे में यूक्रेन पर कब्जे से पाइपलाइन की सुरक्षा और मजबूत होगी।