नेचर इनफोकस ने लांच किया उनका पहला प्रोडक्शन प्रोजेक्ट टाइगर

देहरादून। प्राकृतिक दुनिया की कहानियों में विशेषज्ञता रखने वाले अग्रणी प्रोडक्शन हाउस नेचर इनफोकस ने आज अपनी डॉक्यूमेंट्री फिल्म, प्रोजेक्ट टाइगर के लॉन्च की घोषणा की। 4 नवंबर 2023 को प्रस्तुत होने वाली यह डॉक्यूमेंट्री, भारत की प्रमुख संरक्षण पहल, ष्प्रोजेक्ट टाइगरष् का एक अभूतपूर्व विवरण है, जो इतिहास में सबसे बड़ी और सबसे महत्वाकांक्षी संरक्षण परियोजना बन चुकी है। द संदूर मैंगनीज एंड आयरन ओर्स लिमिटेड, डिस्कवरी विलेज और रेनमैटर फाउंडेशन द्वारा समर्थित यह डॉक्यूमेंट्री उस उल्लेखनीय प्रयास की छिपी हुई कहानी को उजागर करती है, जो भारत के लोकतंत्र के परिपेक्ष में घोटाले, साजिश और राजनीतिक व सामाजिक संघर्ष से भरा हुआ है। यह आपको परदे के पीछे की अनदेखी बाघों की दुनिया और उन प्राचीन जंगलों के बारे में बताती है जहाँ वो रहते हैं। साथ ही वन्यजीव अपराध से जुड़े बहुराष्ट्रीय नेटवर्क के पीछे की चौंकाने वाली सच्चाइयों को भी उजागर करती है। इस डाक्यूमेंट्री में प्रोजेक्ट टाइगर के पीछे एक मंत्रमुग्ध कर देने वाली कहानी बताई गई है, जो हमारे ग्रह की अब तक की सबसे बड़ी संरक्षण से जुडी सफलता रही है।
कल्याण वर्मा, फिल्म निर्माता, नेचर इनफोकस ने कहा कि यह डाक्यूमेंट्री भारत की विरासत का एक प्रमाण है, एक कहानी है जो राष्ट्रीय गौरव की भावना को प्रोत्साहित करती है। साथ ही, मानवता और जंगल के बीच गहरे संबंध के साथ जुड़ी आशा और लचीलेपन के मूल्यों को बढ़ावा देती है। हालाँकि, बाघों को बचाने के भारत के मिशन की सफलता की राह आसान नहीं रही है। यह डाक्यूमेंट्री उन व्यक्तियों के अटूट समर्पण को एक विनम्र श्रद्धांजलि है जिन्होंने इस परिवर्तनकारी यात्रा में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है, जिनमें से कुछ के पास तो शायद कोई विकल्प भी नहीं बचा था। वन्यजीव फोटोग्राफरों, फिल्म निर्माताओं और संरक्षणवादियों के सबसे बड़े समुदायों के तौर पर हम मानते हैं कि जागरूकता सार्थक बदलाव की दिशा में पहला कदम है और यह डाक्यूमेंट्री इसी दिशा में हमारा एक प्रयास है।
रोहित वर्मा, फिल्म निर्माता, नेचर इनफोकस ने कहा कि यह डॉक्यूमेंट्री हमारे दिल के करीब है, और एक प्रोडक्शन हाउस के रूप में हमें इस तथ्य पर गर्व है कि यह एक भारतीय कहानी है। यह कहानी दुनिया की सबसे बड़ी और महत्वाकांक्षी संरक्षण परियोजना है, और दुनिया भर में बताई जानी चाहिए। भारत में दुनिया भर के जंगली बाघों की 70 प्रतिशत आबादी पाई जाती है और प्रोजेक्ट टाइगर के माध्यम से उनकी बढ़ती उपस्थिति ने हमारे देश में संरक्षण के परिदृश्य को फिर से परिभाषित किया है और विश्व स्तर पर सभी को प्रेरित किया है। अब तक पूरी कहानी किसी की भी नजर में नहीं आ पाई है। अपनी डॉक्यूमेंट्री के माध्यम से हम इस परिवर्तनकारी परियोजना की विरासत को दुनिया भर के दर्शकों के सामने प्रदर्शित करना चाहते हैं, जहां बाघ के माध्यम से हमने कुछ और मूल्यवान चीज भी बचाईं जो है उसका निवास स्थान और उसके आसपास के प्राकृतिक पारिस्थितिकी तंत्र को भी बेहतर किया। कुल मिलकर यह आशा की कहानी है। भारतीय लोगों द्वारा बताई गई अपने देश की संरक्षण से जुड़ी कहानी है जहां प्रकृति के साथ उनके गहरे सम्बन्ध ने एक आंदोलन का रूप लिया हो। यह हमारे समय के लिए एक आवश्यक संरक्षण कथा है।
प्रोजेक्ट टाइगर दुनिया का सबसे बड़ा और सबसे लंबे समय तक चलने वाला वन्यजीव संरक्षण प्रयास है। भारत की तरह किसी भी अन्य देश ने अब तक किसी प्रजाति को बचाने के लिए ऐसा प्रयास नहीं किया है। अंत में देखा जाए तो यह सिर्फ बाघ की कहानी नहीं है। यह उन लोगों की भी कहानी है जो जंगलों में और उनके आसपास रहते हैं और जिनके आसपास वन्य जीवन है। वन विभाग के कर्मचारियों के साथ-साथ उनकी भी सराहना की जानी चाहिए जिन्होंने इस महत्वपूर्ण प्रजाति और उनके आवासी क्षेत्रों को बचाने के लिए अपना सब कुछ न्योछावर कर दिया है।

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