केरल हाई कोर्ट ने 14 वर्षीय नाबालिग पीड़िता के गर्भपात की याचिका की खारिज
केरल हाई कोर्ट ने एक 14 वर्षीय नाबालिग को 30 सप्ताह के भ्रूण का गर्भपात करने की अनुमति देने से इनकार कर दिया। कोर्ट ने कहा कि क्योंकि भ्रूण अपने अंतिम चरण में है इसलिए हम इसकी इजाजत नहीं दे सकते।
जस्टिस देवन रामचंद्रन ने नाबालिग की मां द्वारा दायर भ्रूण को गिराने की याचिका खारिज कर दी और कहा कि यह ऐसा मामला नहीं है जहां गर्भावस्था के कारण “पीड़ित बच्चे का स्वास्थ्य खतरे में था” और न ही किसी घातक भ्रूण असामान्यता का पता चला था।
नाबालिग की मां ने भ्रूण को गिराने की याचिका दायर की थी
दरअसल, नाबालिग की मां ने केरल हाई कोर्ट में भ्रूण को गिराने की याचिका दायर की थी। जस्टिस देवन रामचंद्रन ने याचिका खारिज करते हुए कहा कि यह ऐसा मामला नहीं है जिसमें गर्भावस्था के कारण ‘पीड़ित बच्चे का स्वास्थ्य खतरे में है’ और ना ही भ्रूण असामान्य है।
मां ने दुष्कर्म को हवाला दिया
नाबालिग की मां ने हाई कोर्ट से इस आधार पर गर्भपात की मांग की थी कि उसकी बेटी से साथ दुष्कर्म हुआ था। वहीं, इस दौरान आरोपी पॉक्सो एक्ट के तहत हिरासत में था। कोर्ट ने कहा कि भले ही फाइल पर मौजूद रिकॉर्ड और रिपोर्ट से पता चलता है कि पीड़िता के साथ जबरदस्ती नहीं की गई थी। मगर, बच्ची अभी भी बहुत छोटी है। महज 13-14 साल की उम्र में उसके साथ जो हुआ वह ‘निश्चित रूप से वैधानिक दुष्कर्म’ है।
पीड़िता से पूरी सहानुभूति है- हाई कोर्ट
जस्टिस रामचंद्रन ने अपने आदेश में कहा, “भ्रूण का मस्तिष्क और फेफड़े जैसे महत्वपूर्ण अंग लगभग पूरी तरह से विकसित हो चुके हैं और बच्चा गर्भ के बाहर आने के लिए तैयार है। इसलिए, यह अदालत याचिकाकर्ता के अनुरोध को स्वीकार नहीं कर सकती है। हालांकि पीड़िता और उसका परिवार जिस स्थिति से गुजर रहा है, उससे मुझे पूरी सहानुभूति है, खासकर इसलिए क्योंकि पीड़ित बच्ची बहुत छोटी है।”