टिहरी का घनसाली भिलंगना मिनी जापान के नाम से है मशहूर, ये है इसकी वजह…
उत्तराखंड में भले ही रोजगार की समस्या बनी हुई है। वहीं टिहरी के घनसाली क्षेत्र के लोगों ने अपनी लगन और मेहनत के बदौलत जापान में सफलता के झंडे गाड़े हैं। जापान में होटलिंग के फील्ड में वह अपने हुनर का लोहा मनवा रहे हैं। इसलिए टिहरी जिले का घनसाली भिलंगना क्षेत्र मिनी जापान के नाम से मशहूर है। इसे मिनी जपान इसलिए कहा जाता है क्योंकि यहां के करीब हर परिवार से एक सदस्य विदेश में नौकरी करता है। इस इलाके के अधिकतर लोग विदेशों में होटल और रेस्टोरेंट कारोबार से जुड़े हुए हैं। आर्थिक रूप से मजबूत ये शहर अपनी अलग पहचान रखता है। आइए आपको बताते है यहां के बारे में…
बता दें कि टिहरी के घनसाली को भिलंगना घाटी भी कहा जाता है। यहां के करीब हर दूसरे परिवार से एक सदस्य विदेशों में होटल लाइन में जपान में काम करता है तो वहीं कई लोग जापान में अपने खुद के होटल रेस्टोरेंट चलाते हैं, जिससे यहां के लोग जहां आर्थिक रूप से भी काफी मजबूत है तो वहीं मिनी जपान के रूप में क्षेत्र को पहचान भी दिला रहे है। टिहरी जिले में सबसे अधिक विदेशी मुद्रा भी यहीं के बैंकों में आती है। लेकिन सुविधाओं के आभाव में यहां के लोगों ने पलायन कर लिया है।
बताया गया है कि सबसे पहले इन चारों गांवों से 70 के दशक में पहली बार कुछ युवाओं ने जापान की तरफ रुख किया। फिर उसके बाद तो यहां के युवाओं ने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा। अब स्थिति यह है कि यहां के युवा केवल होटल मैनेजमेंट पर ही ज्यादा एजूकेशन लेते हैं। अकेले जापान सिटी में इस वक्त इस जिले के युवाओं के ढाबे और रेस्टोरेंट चल रहे हैं। बताया गया कि इंडियन एंबेसी में इंडियन डिशेज के लिए कुछ ढाबों के नाम शामिल हैं।
टिहरी जिले के घनसाली तहसील से करीब 70 किमी दूर स्थित हैं पंगरियाना, बागर, बडियार और सरपोली गांव। लेकिन यहां सुविधाओं का अभाव है। घनसाली सीमान्त क्षेत्र होने के चलते विकास से कोसो दूर है। हालांकि अब प्रशासन द्वारा इसे डेवलप करने की योजना पर काम किया जा रहा है। टिहरी जिले की चेस्ट ब्रांच कहे जाने वाला घनसाली भले ही सीमान्त हो, लेकिन यहां के लोंगों की आजीविका के चलते अभी भी घनसाली विकसित क्षेत्रों में शुमार है। यहां के लोंगों के विदेश में होने के चलते टिहरी जिले में इसकी अनदेखी नहीं की जा सकती है।