दीपावली: दीपोत्सव पर्व शुरू, आज धनतेरस पर कर सकेंगे खरीददारी, जानिए धनतेरस की पूजा विधि और मुहूर्त

Deepawali: शनिवार शाम से धनतेरस का पर्व शुरु होगा। अंधकार से प्रकाश और असत्य पर सत्य के जीत का त्योहार दीपावली 24 अक्तूबर को मनाई जाएगी। धनतेरस से पांच दिनों तक चलने वाला दीपोत्सव पर्व शुरू हो जाता है। धनतेरस पर शुभ खरीदारी, भगवान धन्वंतरि की पूजा और यम दीपदान का विशेष महत्व होता है। इस वर्ष धनतेरस 22 अक्तूबर, शनिवार की शाम 6 बजे से शुरू होकर 23 अक्तूबर, रविवार की शाम 6 बजे तक रहेगा। ऐसे में धनतेरस का त्योहार दो दिन यानी 22 और 23 अक्तूबर को मनाया जा रहा है।

धनतेरस पर शाम को भगवान धन्वंततरि की पूजा होती है। इस बार खरीदारी के लिए पूरा दिन मिलगा। इसके अलावा धनतेरस पर त्रिपुष्कर और सर्वार्थसिद्धि योग भी बन रहा है। इस योग में शुभ कार्य सिद्धि होते हैं और 3 गुने फल की प्राप्ति होती है। धनतेरस पर सोना-चांदी के सिक्के, आभूषण और बर्तन खरीदने की प्रथा है। धनतेरस की शाम को प्रदोष काल में भगवान धन्वंतिर, माता लक्ष्मी और कुबेर की भी पूजा की जाती है। इसके अलावा अकाल मृत्यु से बचने के लिए धनतेरस पर घर के दक्षिण दिशा में तेल का दिया जलाया जाता है। जिसे यम का दीपदान कहते हैं।

27 साल बाद धनतेरस पर कई शुभ संयोग : इस बार धनतेरस का त्योहार दो दिन तक मनाया जाएगा। इस तरह का संयोग 27 वर्ष बाद दोबारा से बना है। हिंदू पंचांग के अनुसार धनतेरस जिसे धनत्रयोदशी भी कहते हैं हर वर्ष कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि को मनाई जाती है। पंचांग गणना के अनुसार 22 अक्तूबर को शाम 06 बजकर 02 मिनट पर त्रयोदशी तिथि प्रारंभ हो जाएगी जोकि अगले दिन यानी 23 अक्तूबर को शाम 06 बजकर 03 तक रहेगी। फिर इसके बाद चतुर्दशी तिथि प्रारंभ हो जाएगी। ऐसे में धनतेरस की खरीदारी के लिए काफी समय मिलेगा। धनतेरस पर प्रदोष व्रत और शनिदेव मार्गी हो जाएंगे जिसके कारण शुभ खरीदारी के लिए समय अच्छा रहेगा। इस दिन सर्वार्थसिद्धि योग और त्रिष्पुकर योग भी बनेगा।

धनतेरस पूजा विधि और मुहूर्त : 22 अक्टूबर शनिवार को त्रयोदशी तिथि सायं 6 बजकर 03 मिनट से प्रारंभ होगी। धनतेरस पर कुबेर-लक्ष्मी का पूजन सायंकाल में किया जाता है इसलिए त्रयोदशी तिथि सायंकाल में होने से धनतेरस 22 अक्टूबर को ही मनाई जाएगी। लेकिन खरीदी का अन्य शुभ कार्य 23 अक्टूबर को भी किए जा सकेंगे। जबकि धनवंतरि जयंती उदयकालिक त्रयोदशी तिथि में मनाई जाती है इसलिए धनवंतरि जयंती पर भगवान धनवंतरि का पूजन 23 अक्टूबर को किया जाएगा।  धनतेरस पर पूजा का मुहूर्त शाम 06 बजकर रात 08 बजकर 15 मिनट तक है। 23 अक्टूबर को सायंकाल में यम की प्रसन्नता के लिए दीपदान भी किया जाएगा। भगवान धन्वंतरि आयुर्वेद के देवता हैं और धन त्रयोदशी पर भगवान धन्वंतरि की पूजा करने पर आरोग्यता मिलती है। धनतेरस पर भगवान धन्वंतरि की पूजा में गाय के घी से दीपक जलाएं। फिर पूजा सामग्री में औषधियां चढ़ाएं।

भगवान धन्वंतरि : समुद्र मंथन से चौदह प्रमुख रत्नों की उत्पत्ति हुई जिनमें चौदहवें रत्न के रूप में स्वयं भगवान धन्वन्तरि प्रकट हुए जो अपने हाथों में अमृत कलश लिए हुए थे। भगवान विष्णु ने इन्हें देवताओं का वैद्य और वनस्पतियों तथा औषधियों का स्वामी नियुक्त किया। इन्हीं के वरदान स्वरूप सभी वृक्षों-वनस्पतियों में रोगनाशक शक्ति का प्रादुर्भाव हुआ। भगवान धन्वन्तरि आरोग्य और औषधियों के देव हैं। धनतेरस के दिन इनकी पूजा-आराधना अपने और परिवार के स्वस्थ शरीर के लिए करें क्योंकि,संसारका सबसे बड़ा धन आरोग्य शरीर है। आयुर्वेद के अनुसार भी धर्म,अर्थ,काम और मोक्ष की प्राप्ति स्वस्थ शरीर और दीर्घायु से ही संभव है।

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