उत्तराखंड श्री अन्न महोत्सव 2023: स्लाइड शो में बताई मोटे अनाज की विकसित प्रजातियाँ व इससे किसानों को लाभ
देहरादून। वर्ष 2023 भारत के लिए गौरवशाली बनकर आया है। जी 20 समूह की अध्यक्षता कर रहे भारत की पहल पर इस वर्ष को संयुक्त राष्ट्र ने अंतरराष्ट्रीय पोषक अनाज वर्ष घोषित किया है। मोटे अनाज की महत्ता को पहचान कर और लोगों को पोषक पदार्थ उपलब्ध कराने तथा स्वदेशी व वैश्विक मांग का सृजन करने में अग्रणी भारत इस विशेष वर्ष के जरिए दुनिया के लिए पथ प्रदर्शक बन रहा है। भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्धारा मोटे अनाज को श्री अन्न योजना का नाम दिया है। पर्वतीय क्षेत्रों में मोटे अनाज के रुप में मडुवा,रागी, मादिरा, झंगोरा, रामदाना, कुट्टू पहले से पोषक अनाज की पहचान बनाए हुए है जो यहां परंपरागत कृषि के अंतर्गत आता है। मोटा अनाज को अंतर्राष्ट्रीय पोषण वर्ष के घोषित किए जाने और इसका उत्पादन किसान अधिक से अधिक कैसे करें इस विषय को लेकर आज विवेकानन्द पर्वतीय कृषि अनुसंधान संस्थान अल्मोड़ा के निदेशक डॉ लक्ष्मी कांत अग्रवाल द्वारा वैज्ञानिकों के साथ गोष्टी की।
गोष्टी में निदेशक द्वारा स्लाइड शो के माध्यम से मोटे अनाज के विकसित प्रजातियों के बारे में जानकारी दी और उसका लाभ किसानों को कैसे हो इस गहन चर्चा की। विवेकानन्द पर्वतीय कृषि अनुसंधान संस्थान अल्मोड़ा के निदेशक डॉ लक्ष्मी कांत अग्रवाल ने बताया यह वर्ष अंतरराष्ट्रीय पोषक वर्ष के रूप में मनाया जा रहा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्धारा मोटे अनाज को श्री अन्न योजना का नाम दिया गया है। संस्थान द्वारा मोटे अनाज के रूप में मडुवा, मादीरा, रामदाना, चौलाई, कुट्टू इन चार अनाजों को विकसित करने का काम किया जा रहा है। उन्होंने बताया कि अभी तक संस्थान द्वारा मडुवा, रागी की 26 नई प्रजाति मादिरा की 7 कुट्टू की 1 नई प्रजाति विकसित की है। उन्होंने बताया कि संस्थान के ढाई सौ नाली की एरिया में किसानों द्वारा संस्थान की विकसित प्रजातियों का उत्पादन किया जाएगा। इसके लिए उन्हें प्रशिक्षण दिया जाएगा। खरीफ की फसल से पहले राज्य सरकार के कृषि कार्मिकों को भी फसलों को फसलों के सुरक्षित रखरखाव के लिए प्रशिक्षित किया जायेगा।
उन्होंने बताया कि मोटे अनाज के उत्पादन के लिए अल्मोड़ा विवेकानंद पर्वतीय कृषि अनुसंधान संस्थान द्वारा बृहद किसान मेला आयोजित किया जाएगा जिस पर मिलेट पर किसानों को जानकारी दी जायेगी। संस्थान के प्रधान वैज्ञानिक डॉ जे एस विष्ट ने बताया कि संस्थान में मोटे अनाज की कई प्रजातियों को विकसित करने पर काम कर किया जा रहा है। किसानों को जानकारी दी जा रही है ताकि किसान संस्थान की विकसित प्रजातियों का उत्पादन कर सकें और किसानों को इसका लाभ मिले। उन्होंने बताया कि मोटा अनाज गरीबों की फसल के रूप में जानी जाती है। यह पोषक अनाज के रूप में पहचान जानी जा रही है। उन्होंने बताया कि यह पर्वतीय क्षेत्रों की वर्षा पर आधारित फसल है इसका उत्पादन अधिक हो और किसानों को लाभ मिले यह संस्थान की कोशिश रहेगी। उन्होंने बताया कि मडुवा पोषक आहार के रूप में बच्चों को भी दिया जा रहा है। किसान मेले आयोजित कर किसानों के माध्यम से आम जन तक हम मोटे अनाज को ले जा रहे हैं।