न्यूज़ डेस्क/ अभिज्ञान समाचार। भारत में बढ़ते और कोरोना मामलों को देखते हुए नई गाइडलाइन जारी की जा रही है। अब इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (ICMR) ने अपनी ताजा गाइडलाइन में कहा है कि कोई भी व्यक्ति, जो किसी कोविड-संक्रमित रोगी के संपर्क में आया है, उसे तब तक परीक्षण करने की आवश्यकता नहीं है जब तक कि व्यक्ति की पहचान, उम्र या सहरुग्णता के आधार पर ‘उच्च जोखिम’ श्रेणी में नहीं की जाती है।
कोविड-19 के लिए उद्देश्यपूर्ण परीक्षण रणनीति पर सलाह में, आईसीएमआर ने कहा कि जिन लोगों का परीक्षण करने की आवश्यकता नहीं है, उनमें कोविड-19 के पुष्ट मामलों के संपर्क शामिल हैं, जब तक कि उन्हें उम्र या कॉमरेडिडिटी के आधार पर उच्च जोखिम के रूप में पहचाना नहीं जाता है। आईसीएमआर ने कहा , ”इसके अलावा, सामुदायिक सेटिंग में बिना लक्षण वाले व्यक्ति, होम आइसोलेशन दिशा-निर्देशों के अनुसार डिस्चार्ज किए गए मरीज, संशोधित डिस्चार्ज नीति के अनुसार कोविड-19 सुविधा से डिस्चार्ज किए गए मरीज और अंतर-राज्यीय घरेलू यात्रा करने वाले व्यक्तियों का परीक्षण करने की आवश्यकता नहीं है।”
सरकारी निकाय ने कहा, ”लेकिन खांसी, बुखार, गले में खराश, स्वाद या गंध की कमी, सांस लेने में तकलीफ और अन्य श्वसन लक्षणों वाले व्यक्तियों का परीक्षण किया जाना चाहिए।” इसमें कहा गया है कि जिन अन्य लोगों का कोविड-19 के लिए परीक्षण किया जा सकता है, उनमें प्रयोगशाला में पुष्टि किए गए मामलों के जोखिम वाले संपर्क, अंतरराष्ट्रीय यात्रा करने वाले व्यक्ति और भारतीय हवाई अड्डों, बंदरगाहों पर पहुंचने वाले अंतर्राष्ट्रीय यात्री शामिल हैं।
आईसीएमआरे ने कहा कि कोई भी आपातकालीन प्रक्रिया – जैसे सर्जरी और प्रसव – एक परीक्षण की कमी के कारण इसमें देरी नहीं होनी चाहिए। इसमें कहा गया है कि जांच सुविधा के अभाव में मरीजों को अन्य सुविधाओं के लिए रेफर नहीं किया जाना चाहिए। प्रसव के लिए अस्पताल में भर्ती प्रसव में या उसके निकट गर्भवती महिलाओं सहित सर्जिकल/गैर-सर्जिकल प्रक्रियाओं से गुजरने वाले बिना लक्षण वाले रोगियों का परीक्षण तब तक नहीं किया जाना चाहिए, जब तक कि आवश्यक न हो या लक्षण विकसित न हों।