मुख्यमंत्री धामी बोले, भाजपा अपने कार्यकर्ताओं की क्षमता को जानकर देती है बड़ी जिम्मेदारी
- लखनऊ यूनिवर्सिटी पहुंचे सीएम धामी, छात्र जीवन की कई यादें साझा की
अभिज्ञान समाचार/ देहरादून। बुधवार को मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी देर शाम लखनऊ युनिवर्सिटी पहुंचे। लखनऊ विश्वविद्यालय के एल्यूमिनी द्वारा विश्वविद्यालय परिसर स्थित मालवीय सभागार में मुख्यमंत्री का सम्मान किया गया। एल्युमिनी की निदेशक निशी पांडेय ने बुके देकर स्वागत किया। इस अवसर पर मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि लविवि के मालवीय सभागार में सम्मेलन कार्यक्रम में आना उनके लिए सौभाग्य की बात है। यहां आकर गुरुजनों का आशीर्वाद मिला, साथियों का स्नेह मिला तथा स्वागत से अभिभूत हूं। सीएम धामी ने कहा कि उनकी यहां आने की बहुत इच्छा थी लेकिन व्यस्तता के चलते नहीं आ सके। उन्होने कहा कि शायद भगवान की इच्छा रही कि वे मुख्य सेवक होकर आपके बीच पहुंचे। बिना भगवान की इच्छा के एक पत्ता भी नहीं हिलता। मेष से लेकर मीन राशि तक के जितने भी संगी साथी और नौजवान वहां मौजूद थे सबका उन्होंने आभार जताया।
उन्होंने कहा कि उन्हें अपने गांव से भी बहुत लगाव है। अब भी मौका मिलता है गांव जाता हूं। लेकिन अब व्यस्तता इतनी हो गयी कि ज्यादा समय नहीं मिल पाता। उन्होंने मध्य प्रदेश के सीएम का उल्लेख करते हुए कहा कि कई साल पहले जब वे उनसे मिलने गये बहुत आत्मीयता से मिले। गाड़ी में बैठाकर अपने साथ ले गए। मैंने उनसे कहा कि आप पहले जैसे हैं बदले नहीं। उनसे उन्हें यह सीख मिली कि व्यक्ति को अपने व्यवहार में बदलाव नहीं लाना चाहिए।
उन्होंने कहा कि प्रदेश में मंत्रिमंडल विस्तार में उन्हें मंत्री बनने की उम्मीद थी लेकिन नहीं बन सका। तीरथ सिंह रावत मंत्रिमंडल का भी उल्लेख किया कि तब भी कुछ नहीं हुआ। लेकिन अचानक समय ने करवट ली। तीरथ सिंह रावत की जगह सीएम बनने की विधानमंडल दल की बैठक में प्रभारी बनाए गए नरेन्द्र सिंह तोमर की उपस्थिति में विधायक दल की बैठक में मेरा नाम तय कर दिया गया। वे संकोची स्वाभाव के हैं, कार्यक्रमों में भी पीछे बैठते रहे हैं। मुख्यमंत्री ने कहा यह भाजपा में ही संभव है जो अपने कार्यकर्ताओं की क्षमता को जानती है, जिम्मेदारी देती है, आगे बढ़ाती है।
सीएम धामी ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के मार्गदर्शन में उत्तराखण्ड में देवस्थानों के कायाकल्प की योजनाएं चल रहीं। दुर्गम स्थानों में भी रेल आवागमन की सुविधा। उन्होंने कहा कि वे सैनिक के बेटे हैं, उनके परिवारों के कष्टों-दुखों को जानते हैं। पहले सेना के परिवार वालों को युद्ध में तमाम शंकाए रहती थीं। लेकिन प्रधानमंत्री मोदी ने सेना के परिवार वालों का संशय खत्म किया। जवानों का सम्मान बढ़ाया इस संबध में उन्होंने गलवां घाटी की घटना का भी उल्लेख किया।