हरियाणा: पढ़ें खेल महाकुंभ में पहुंचे खिलाड़ी का संघर्ष
कौन कहता है आसमां में सुराख नहीं हो सकता, एक पत्थर तो तबीयत से उछालो यारो… इस कहावत को चरितार्थ किया है जींद के महरडा के रहने वाले अंतरराष्ट्रीय कबड्डी खिलाड़ी सचिन ने। वह कभी संसाधनों के अभाव में गोलगप्पे की रेहड़ी लगाते थे। आज उनकी मेहनत और लगन ने उन्हें कामयाबी की बुलंदी पर पहुंचाया है।
परिवार की आर्थिक हालत से समझौता कर रेहड़ी लगाने को विवश रहे सचिन ने कबड्डी खेलने का जुनून बनाए रखा। वह न केवल अंतरराष्ट्रीय स्तर तक खेले, बल्कि जूनियर नेशनल और अंतरराष्ट्रीय जूनियर विश्व कप में स्वर्ण पदक भी जीता। राजीव गांधी खेल परिसर में सोमवार को शुरू हुए खेल महाकुंभ में पहुंचे 12वीं कक्षा के सचिन ने अमर उजाला से हुई विशेष बातचीत में गोलगप्पे बेचने से लेकर अंतरराष्ट्रीय कबड्डी खेलने तक का संघर्ष साझा किया।
कक्षा सातवीं में पढ़ाई के दौरान पिता का हो गया था निधन
सचिन ने बताया कि वह वर्ष 2016 से कबड्डी खेल रहे हैं। कक्षा सातवीं में पढ़ाई के दौरान पिता मेनपाल का निधन हो गया था। इसके बाद घर की आर्थिक स्थिति खराब हो गई। ऐसे हालात में बड़े भाई अश्विनी के साथ सचिन ने गोल गप्पे बेचना शुरू किया। दो साल तक गोल गप्पे की रेहड़ी लगाकर दोनों भाइयों ने घर चलाया। बाद में बड़े भाई ने एक निजी कंपनी में नौकरी शुरू की। इसी दौरान सचिन को उनके कोच सतीश ने प्रेरित कर कबड्डी खेलना जारी रखने के लिए मनाया। इसके बाद से लगातार कबड्डी खेलना जारी है।
शौकिया तौर पर शुरू किया था कबड्डी खेलना
सचिन शुरू में कबड्डी शौकिया खेलता था। कोच सतीश ने उसका खेल देखकर प्रेरित किया और इसके परिजनों को समझाया। इसके बाद वह नियमित मैदान में अभ्यास करने लगे। कबड्डी पर ध्यान दिया। कक्षा 12वीं में पढ़ाई के साथ सचिन ने खेल की दुनिया में नाम कमाना शुरू किया। पहले जूनियर नेशनल व इसके बाद अंतरराष्ट्रीय जूनियर विश्व कप में स्वर्ण पदक जीतकर परिवार का नाम रोशन किया। सचिन अब तक राज्यस्तरीय, जूनियर नेशनल, अंतरराष्ट्रीय जूनियर विश्व कप में स्वर्ण समेत चार पदक जीत चुके हैं। जूनियर नेशनल हरिद्वार में रजत पदक जीता है। परिवार के यह पहले कबड्डी खिलाड़ी अब खेल महाकुंभ में दमखम दिखाने पहुंचे हैं। वर्तमान में वह कोच जितेंद्र की देखरेख में अभ्यास कर रहे हैं।
पिता के बाद दोनों भाइयों ने संभाला परिवार
सचिन के परिवार में मां दयावंती, बड़ा भाई अश्विनी, बड़ी बहन रीना व छोटी पूजा हैं। मां गृहिणी है। बड़ी बहन की शादी हो चुकी है। छोटी बहन बीए की पढ़ाई कर रही हैं। बड़े भाई निजी कंपनी में काम करते हैं। पिता के बाद दोनों भाइयों ने परिवार को संभाला।
खेल के साथ नौकरी की तलाश है। घर की आर्थिक स्थिति को देखते हुए भविष्य में बेहतर अवसर मिलने पर काम भी करूंगा। किसी भी तरह की नौकरी कर लूंगा।
- 2016 में कबड्डी की हुई शुरुआत।
- 2022 में जूनियर नेशनल में जीत।
- 2023 युवा सीरीज में गोल्ड मेडल।
- 2023 सेकेंड जूनियर उर्मिया ईरान।
- 2023 जूनियर स्टेट चैंपियनशिप गोल्ड मेडल।