भारत की गौरवशाली परम्परा है शास्त्रीय संगीत और नृत्य
ऋषिकेश। परमार्थ निकेतन में दो दिवसीय सांस्कृतिक संगीत महोत्सव की शुरुआत हो गई है। महोत्सव के पहले दिन कलाकारों ने शास्त्रीय संगीत और नृत्य की प्रस्तुति दी। बुधवार को परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती ने दीप प्रज्ज्वलित कर विधिवत दो दिवसीय संगीत कार्यक्रम का शुभारम्भ किया।
उन्होंने कहा कि शास्त्रीय संगीत व नृत्य भारत की गौरवशाली परम्परा रही है। भारत के शास्त्रीय नृत्य का प्रथम स्रोत हमें भरत मुनि के नाट्यशास्त्र से प्राप्त होता है। नृत्य की लय, गति व ताल के साथ जीवन की लय, गति व ताल भी सध जाए तो जीवन सफल हो जाएगा। भारतीय शास्त्रीय नृत्य विधाओं का समृद्ध और सांस्कृतिक इतिहास रहा है। भारत की सांस्कृतिक विरासत को जीवित रखने और विश्व स्तर पर सांस्कृतिक विविधता और समझ को बढ़ावा देने के लिये इन नृत्य विधाओं का संरक्षण और प्रचार किया जाना अत्यंत आवश्यक है।
भारत अपनी समृद्ध सांस्कृतिक विरासत के लिये पूरी दुनिया में जाना जाता है। भारतीय शास्त्रीय नृत्य और संगीत हमारी गौरवशाली विरासत है।
इस दौरान महोत्सव के प्रथम दिन उड़िसा से आई नृत्यांगना सिलरी लेंका, टिहरी गढ़वाल के शास्त्रीय गायन डा. विकास, उनके साथ तबले पर महाराष्ट्र के संतोष कुमार, हार्मोनियम पर प्रभात कुमार आदि कलाकारों ने मनमोहक प्रस्तुतियां दी। स्वामी चिदानन्द सरस्वती ने कलाकारों को प्रमाण पत्र प्रदान किए।