राज्य की मूल अवधारणा में देवत्व की प्रधानता है भौतिकता की नहीं: डॉ बिजल्वाण
देहरादून: श्री गुरु राम राय लक्ष्मण संस्कृत महाविद्यालय में राज्य स्थापना दिवस की अवसर पर एक संगोष्ठी का आयोजन किया गया। इस अवसर पर महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ राम भूषण बिजल्वाण ने उत्तराखंड के गांधी स्व. इंद्रमणि बडोनी की प्रतिमा पर माल्यार्पण कर सभी आंदोलनकारी शहीदों को यादकर उनको श्रद्धांजलि अर्पित की।
डॉ बिजल्वाण ने कहा कि राज्य आंदोलन में जिन महापुरुषों ने अपना योगदान दिया उन सभी पुण्य आत्माओं को महाविद्यालय परिवार अपनी श्रद्धांजलि अर्पित करता है। साथ ही डॉ बिजल्वाण ने कहा कि यह राज्य देवभूमि है राज्य की मूल अवधारणा में देवत्व की प्रधानता है न कि भौतिकता की। इसलिए इस राज्य में भौतिकता नही अपितु देवत्व को बढ़ाने पर ज्यादा ध्यान दिया जाना चाहिए। यहाँ की देवशक्तियों के मूलकेन्द्र देवतीर्थों के विकास से ही उत्तराखंड की उन्नति सम्भव है।
डॉ बिजल्वाण ने कहा कि आज हमारा उत्तराखंड 24 वर्ष का युवा हो गया है, लेकिन यहां के युवा अपनी बोली गढ़वाली, कुमाउनी, जौनसारी से विमुख होते जा रहे हैं। अभी तक हमारी बोली को भाषा का दर्जा नहीं मिल पाया है जिसके लिए अधिक प्रयास करने की आवश्यकता है। संगोष्ठी में डॉ शैलेंद्र प्रसाद डंगवाल ने कहा कि उत्तराखंड राज्य बनाने के लिए जो परिकल्पना की गई थी वहां परिकल्पना सार्थक नहीं हुई है।
देवभूमि को देखते हुए यहां पर संस्कृत भाषा को जो द्वितीय राजभाषा का दर्जा प्रदान किया गया था पर आज डेड दशक बीतने के बाद भी संस्कृत भाषा के उन्नयन के लिए धरातल पर कोई नया कार्य नहीं दिखाई दे रहा है जो अत्यंत चिंतनीय है इस अवसर पर महाविद्यालय के सभी अध्यापकों ने अपने विचार रखे। संगोष्ठी में डॉ शैलेंद्र प्रसाद डंगवाल, डॉ सीमा बिजल्वाण, आचार्य मनोज शर्मा, आचार्य नवीन भट्ट, डॉ मोहित बडोनी सहित छात्र छात्राएँ उपस्थित थे ।