दिल्ली। संसद के शीतकालीन सत्र में केंद्र सरकार पहले दिन ही एक्शन में दिखाई दी। पिछले मॉनसून सत्र में हंगामा करने के मामले में राज्यसभा से कांग्रेस, शिवसेना और टीएमसी समेत पांच पार्टियों के 12 सांसदों को शीतकालीन सत्र से निलंबित कर दिया गया। इस कार्रवाई के बाद केंद्र सरकार ने विपक्ष को आगाह भी किया है कि इस बार शीतकालीन सत्र में संसद भवन में आचरण और मर्यादा तोड़ने वाले सांसदों पर इसी प्रकार का का एक्शन लिया जाएगा । हालांकि विपक्ष ने 12 सांसदों को सस्पेंड करने के मामले में कड़ा एतराज जताया है। वहीं केंद्र सरकार ने कृषि कानून वापसी बिल दोनों सदनों (लोकसभा, राज्यसभा) में पास करा लिया है । जिन सदस्यों को निलंबित किया गया है, उनमें मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) के इलामारम करीम, कांग्रेस की फूलों देवी नेताम, छाया वर्मा, रिपुन बोरा, राजमणि पटेल, सैयद नासिर हुसैन, अखिलेश प्रताप सिंह, तृणमूल कांग्रेस की डोला सेन और शांता छेत्री, शिव सेना की प्रियंका चतुर्वेदी और अनिल देसाई तथा भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के विनय विस्वम शामिल हैं।
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बता दें कि इन सांसदों को पिछले मॉनसून सत्र के दौरान हुए हंगामे के चलते निलंबित किया गया है। उपसभापति हरिवंश की अनुमति से संसदीय कार्य मंत्री प्रह्लाद जोशी ने इस सिलसिले में एक प्रस्ताव रखा जिसे विपक्षी दलों के हंगामे के बीच सदन ने मंजूरी दे दी। राज्यसभा से निलंबित किए जाने पर शिवसेना की सांसद प्रियंका चतुर्वेदी ने कहा है कि हमारा पक्ष जाने बिना कार्रवाई की गई है। वहीं दूसरी ओर संसद के शीतकालीन सेशन के पहले दिन ही कृषि कानून वापसी बिल दोनों सदनों में पास हो गया है। यह बिल अब राष्ट्रपति के पास भेजा जाएगा। केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने राज्यसभा में यह विधेयक पेश किया। इसके तुरंत बाद ही विपक्षी दलों ने हंगामा शुरू कर दिया। विपक्ष के हंगामे के बीच ही बिल राज्यसभा में पास हुआ।
12 सांसदों के निलंबन के बाद विपक्ष ने कल बुलाई बैठक
निलंबन के बाद विपक्षी पार्टियों ने एक संयुक्त बयान जारी किया है। इस बयान में विपक्ष ने 12 सांसदों के निलंबन के फैसले की निंदा की है और इसे अलोकतांत्रिक निलंबन करार दिया है। विपक्षी पार्टियों ने 12 सांसदों के निलंबन के फैसले पर कांग्रेस नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने मंगलवार को बैठक बुलाई है। कल आयोजित बैठक में विपक्ष आगे की रणनीति तय करेगा। कांग्रेस के राहुल गांधी ने कहा कि हमनें कहा था कि 3 काले कानूनों को वापस लेना पड़ेगा। हमें पता था कि 3-4 बड़े पूंजीपतियों की शक्ति हिंदुस्तान के किसानों के सामने खड़ी नहीं हो सकती और वही हुआ। काले कानूनों को रद करना पड़ा। राहुल गांधी ने आगे कहा कृषि कानूनों का निरस्त करना किसानों और मजदूरों की जीत है। सरकार को अब एमएसपी की मांग भी स्वीकार करनी चाहिए। इन कानूनों को जिस प्रकार से बिना चर्चा के रद किया गया वह दिखाता है कि सरकार चर्चा से डरती है।