दून में 15 साल पुराने डीजल वाहनों को चलन से बाहर करने की तैयारी, डीएम ने बैठक में दिए निर्देश
- कूड़ा उठान की प्रक्रिया को बेहतर बनाने और इसके लिए बंद वाहनों का प्रयोग करने के निर्देश
- सभी विभाग प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के साथ समन्वय बनाकर साझा करें माइक्रो प्लान
- डीएम ने कहा; प्लास्टिक के प्रयोग और कूड़ा जलाने वालों के खिलाफ करें कड़ी कार्रवाई
अभिज्ञान समाचार/ देहरादून। राजधानी की आबोहवा को पुराने डीजल वाहनों के धुएं से होने वाले प्रदूषण को लेकर जिला प्रशासन संजीदा हो गया है। ऐसे में 15 साल की अवधि पूरी कर चुके डीजल वाहनों को चरणबद्ध तरीके से बाहर करने की योजना है। जिलाधिकारी डॉ आर राजेश कुमार ने इसके लिए रणनीति बनाने को कहा है। जिले के अधिकारियों की बैठक लेते हुए देहरादून के डीएम डॉ आर राजेश कुमार ने स्पष्ट दिशा-निर्देश दिए कि वायु प्रदूषण (पीएम-10 और 2.5) के स्तर को कम करना बेहद जरूरी है। देहरादून मे चल रहे पुराने वाहनों से बढ़ रहे वायु प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए क्या-क्या प्रयास करने होंगे, अधिकारियों के साथ इस पर भी चर्चा की गई।
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बैठक में जिलाधिकारी डा. आर राजेश कुमार ने कहा कि 15 साल की अवधि पूरी कर चुके डीजल वाहनों को विभिन्न चरणों में बाहर करने के लिए रणनीति बनाई जाए। इसी के अनुरूप प्रदूषण जांच केंद्रों की कार्यप्रणाली में भी सुधार किया जाए। साथ ही कहा कि वायु प्रदूषण के हाट-स्पाट की पहचान कर स्मार्ट सिटी व अन्य तकनीकी एजेंसियों की मदद से रोकथाम के प्रयास किए जाएं। उन्होंने निर्देश दिए कि सभी विभाग उत्तराखंड पर्यावरण संरक्षण एवं प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के साथ समन्वय बनाकर अपना माइक्रो प्लान साझा करें।
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नगर निगम को निर्देश देते हुए जिलाधिकारी ने कहा कि कूड़ा उठान की प्रक्रिया को बेहतर बनाया जाए और इसके परिवहन के लिए बंद वाहनों का प्रयोग किया जाए। प्लास्टिक के प्रयोग और कूड़ा जलाने पर 5000 रुपये जुर्माना का प्रविधान है। सभी सक्षम अधिकारी ऐसे करने वालों के खिलाफ कार्रवाई करें। बैठक में प्रभागीय वनाधिकारी राजीव धीमान, पुलिस अधीक्षक यातायात स्वप्न किशोर सिंह, क्षेत्रीय अधिकारी प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड डा. आरके चतुर्वेदी, वरिष्ठ स्वास्थ्य नगर अधिकारी डा. आरके सिंह, जिला पूर्ति अधिकारी जेएस कंडारी, लोनिवि प्रांतीय खंड के अधिशासी अभियंता डीसी नौटियाल मौजूद थे।