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उर्गेवाल्ड और 10 एनजीओ साझेदारों ने मेटलर्जिकल कोल एग्जिट लिस्ट (MCEL) जारी की है, जो उन कोल कंपनियों का पब्लिक डेटाबेस है जो मेट कोल माइनिंग एक्टिविटीज का विस्तार कर रही हैं। उर्गेवाल्ड की डायरेक्टर हेफा शुकिंग ने कहा, “हजारों फाइनेंशियल इंस्टीट्यूशंस पहले ही हमारे ग्लोबल कोल एग्जिट लिस्ट (GCEL) का उपयोग करके थर्मल कोल सेक्टर को फाइनेंसिंग में कमी कर चुके हैं। MCEL एक नई डेटाबेस है जो खासतौर पर मेटलर्जिकल कोल पर फोकस करती है और उन कंपनियों को हाइलाइट करती है जो नए मेट कोल माइन या विस्तार की योजना बना रही हैं। फाइनेंशियल इंस्टीट्यूशंस को जागरूक होना होगा और इस उद्योग के अव्यवसायिक विस्तार को रोकना होगा।”
पेरिस समझौता इस साल अपने 10वें साल में कदम रखेगा, लेकिन 1.5 डिग्री सेल्सियस का लक्ष्य आज भी काफी दूर लगता है। मौजूदा जलवायु संरक्षण प्रयास नाकाम हो रहे हैं और असल में प्रगति के लिए उन सेक्टर्स को भी सुधारने की जरूरत है जिन्हें डिकाबोनाइज करना मुश्किल माना जाता है, जैसे स्टील उद्योग। स्टील इंडस्ट्री की लगभग 11% CO2 एमिशन के लिए जिम्मेदार है, जो मुख्य रूप से कोल के उपयोग पर निर्भर है।
अब स्टील के उत्पादन में कोल की जरूरत को खत्म करने के लिए नई तकनीकें उपलब्ध हैं। थिंक-टैंक “आगोरा इंडस्ट्री” के मुताबिक, 2040 के आस-पास स्टील उद्योग में कोल का इस्तेमाल पूरी तरह से खत्म किया जा सकता है। शुकिंग का कहना है, “ग्रीन स्टील उत्पादन में हाल की प्रगति हमें स्टील उद्योग को एक ‘हार्ड-टू-अबेैट’ से ‘फास्ट-टू-अबेैट’ इंडस्ट्री में बदलने का मौका देती है।”
MCEL में दुनिया भर की 160 कंपनियों के नाम शामिल हैं, जो 18 देशों में 252 मेट कोल एक्सपेंशन प्रोजेक्ट्स चला रही हैं। इन नई और विस्तारित माइनों से सालाना 551 मिलियन मीट्रिक टन मेट कोल का उत्पादन होने की संभावना है, जो दुनिया के वर्तमान मेट कोल उत्पादन को 50% तक बढ़ा देगा। ऑस्ट्रेलिया, रूस और चीन जैसे देशों में मेट कोल के विस्तार के अधिकतर प्रोजेक्ट्स चल रहे हैं। भारत की JSW स्टील और जापान की निप्पॉन स्टील जैसी कंपनियां भी ऑस्ट्रेलिया के मेट कोल खदानों में निवेश कर रही हैं।
एनजीओ “रीक्लेम फाइनेंस” के मुताबिक, 386 प्रमुख वित्तीय संस्थाओं की कोल पॉलिसीज का विश्लेषण किया गया, जिसमें से केवल 16 संस्थाओं के पास मेट कोल के लिए पॉलिसी है। वहीं, 183 संस्थाओं के पास थर्मल कोल के लिए पॉलिसी मौजूद है। शुकिंग और सैंथिया रोका मोरा, प्राइवेट फाइनेंस कैम्पेनेर ने यह चेतावनी दी है कि मेट कोल और थर्मल कोल में कोई अंतर नहीं है, दोनों को जलवायु दृष्टि से चरणबद्ध तरीके से समाप्त करना होगा।
मेटलर्जिकल कोल एग्जिट लिस्ट (MCEL) का उद्देश्य इस उच्च एमिशन वाले उद्योग में पारदर्शिता लाना है, ताकि वित्तीय संस्थाएं अपनी पॉलिसी में सुधार करें और क्लीन एनर्जी ट्रांजिशन को सपोर्ट करें। उर्गेवाल्ड और “रीक्लेम फाइनेंस” ने इसे एक महत्वपूर्ण कदम बताया है, ताकि फाइनेंशियल इंस्टीट्यूशंस यह समझ सकें कि मेट कोल उनके पोर्टफोलियो में कितना जोखिम पैदा कर सकता है और इसे खत्म करने की दिशा में कदम उठा सकें।
MCEL एक अहम शुरुआत है, लेकिन अब यह फाइनेंशियल इंस्टीट्यूशंस और सरकारों की जिम्मेदारी बनती है कि वे मेट कोल के विस्तार को रोकने और ग्लोबल क्लाइमेट गोल्स को पाने के लिए ठोस कदम उठाएं। जलवायु संकट को रोकने के लिए हमें हर सेक्टर में परिवर्तन लाने की जरूरत है, और मेटलर्जिकल कोल इस बदलाव में एक अहम रोल अदा कर सकता है।
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