“राष्ट्रीय शिक्षा नीति का मकसद शिक्षा को संकुचित सोच के दायरों से बाहर निकालना तथा उसे 21वीं सदी के आधुनिक विचारों से जोड़ना है”: प्रधानमंत्री

  • प्रधानमंत्री ने किया राष्ट्रीय शिक्षा नीति के कार्यान्वयन पर अखिल भारतीय शिक्षा समागम का उद्घाटन

वाराणसी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुरुवार को वाराणसी में राष्ट्रीय शिक्षा नीति के कार्यान्वयन पर अखिल भारतीय शिक्षा समागम का उद्घाटन किया। प्रधानमंत्री ने कहा कि ‘अमृत काल’ के वादों को साकार करने में हमारी शिक्षा प्रणाली और युवा पीढ़ी का एक बड़ा हिस्सा है। उन्होंने महामना मदन मोहन मालवीय को नमन करते हुए समागम के लिए शुभकामनाएं दीं। इससे पहले दिन में प्रधानमंत्री ने एलटी कॉलेज में अक्षय पात्र मिड-डे मील किचन का शुभारंभ किया।

उन्होंने कहा कि जिन छात्रों के साथ उन्होंने बातचीत की उनकी उच्च स्तर की प्रतिभा उस प्रतिभा का लाभ प्राप्त करने के लिए आवश्यक प्रयास में जुटने का संकेत देती है। इस दौरान उत्तर प्रदेश की राज्यपाल आनंदीबेन पटेल, उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, केंद्रीय मंत्री धर्मेंद्र प्रधान, अन्नपूर्णा देवी, डॉ. सुभाष सरकार, डॉ. राजकुमार रंजन सिंह, राज्य के मंत्री, शिक्षाविद और अन्य हितधारक इस अवसर पर उपस्थित थे।

प्रधानमंत्री ने कहा कि “राष्ट्रीय शिक्षा नीति का मूल आधार, शिक्षा को संकुचित सोच के दायरों से बाहर निकालना और उसे 21वीं सदी के आधुनिक विचारों से जोड़ना है।” प्रधानमंत्री ने कहा कि देश में कभी भी बुद्धि और प्रतिभा की कमी नहीं थी, हालांकि, अंग्रेजों द्वारा बनाई गई शिक्षा प्रणाली कभी भी भारतीय लोकाचार का हिस्सा नहीं थी। उन्होंने शिक्षा के बहुआयामी भारतीय लोकाचार के बारे में बताया और उस पहलू को आधुनिक भारतीय शिक्षा प्रणाली में चिह्नित करने के लिए कहा।

प्रधानमंत्री ने जोर देकर कहा, “हम केवल डिग्री धारक युवा तैयार न करें, बल्कि देश को आगे बढ़ने के लिए जितने भी मानव संसाधनों की जरूरत हो, हमारी शिक्षा व्यवस्था वो देश को दे। इस संकल्प का नेतृत्व हमारे शिक्षकों और शिक्षण संस्थानों को करना है।” एक नए भारत के निर्माण के लिए, प्रधानमंत्री ने जोर देकर कहा कि एक नई प्रणाली और आधुनिक प्रक्रियाएं महत्वपूर्ण हैं। उन्होंने कहा कि जिसकी पहले कल्पना भी नहीं की गई थी वह अब हकीकत है। प्रधानमंत्री ने कहा, “कोरोना की इतनी बड़ी महामारी से हम न केवल इतनी तेजी से उबरे, बल्कि आज भारत दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ रही बड़ी अर्थव्यवस्थाओं में एक है। आज हम दुनिया के तीसरे सबसे बड़े स्टार्टअप इको-सिस्टम हैं।”

उदाहरण प्रस्तुत कर रही बेटियों की प्रतिभा

प्रधानमंत्री ने कहा कि स्पेस टेक्नोलॉजी जैसे क्षेत्रों में जहाँ पहले केवल सरकार ही सब करती थी वहां अब प्राइवेट प्लेयर्स के जरिए युवाओं के लिए नई दुनिया बन रही है। देश की बेटियों के लिए, महिलाओं के लिए भी जो क्षेत्र पहले बंद हुआ करते थे, आज वो सेक्टर बेटियों की प्रतिभा के उदाहरण प्रस्तुत कर रहे हैं।

हमारे युवा स्किल्ड हों, कॉन्फिडेंट हों, प्रैक्टिकल और कैलकुलेटिव हों

प्रधानमंत्री ने इस बात पर प्रकाश डाला कि नई नीति में, बच्चों को उनकी प्रतिभा और बच्चों की पसंद के अनुसार कुशल बनाने पर पूरा ध्यान दिया गया है। उन्होंने कहा, “हमारे युवा स्किल्ड हों, कॉन्फिडेंट हों, प्रैक्टिकल और कैलकुलेटिव हों, शिक्षा नीति इसके लिए जमीन तैयार कर रही है।”प्रधानमंत्री ने एक नई विचार प्रक्रिया के साथ भविष्य के लिए काम करने की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने कहा कि बच्चे आज बहुत उन्नत स्तर की प्रतिभा प्रदर्शित कर रहे हैं और हमें उनकी प्रतिभा की मदद करने के साथ ही उनका लाभ उठाने के लिए तैयार रहने की जरूरत है।

देश के विकास में सक्रिय भागीदार बन रहे देश के युवा

प्रधानमंत्री ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति की तैयारी में किए गए प्रयासों की सराहना की, हालांकि, उन्होंने जोर देकर कहा कि नीति तैयार करने के बाद गति को कम नहीं किया गया था। नीति के कार्यान्वयन पर लगातार चर्चा और काम होता रहा है। नीति के कार्यान्वयन के बारे में बात करने के लिए प्रधानमंत्री ने व्यक्तिगत रूप से कई सेमिनारों और कार्यक्रमों में भाग लिया। इसका परिणाम यह हुआ है कि देश के विकास में देश के युवा सक्रिय भागीदार बन रहे हैं।

2014 के बाद मेडिकल कॉलेजों की संख्या में हुई 55 प्रतिशत की वृद्धि

प्रधानमंत्री ने देश में शिक्षा के बुनियादी ढांचे में बड़े बदलाव की भी बात की। देश में कई नए कॉलेज, विश्वविद्यालय, आईआईटी और आईआईएम खुल रहे हैं। उन्होंने बताया कि 2014 के बाद मेडिकल कॉलेजों की संख्या में 55 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। विश्वविद्यालयों के लिए सामान्य प्रवेश परीक्षा विश्वविद्यालय प्रवेश में आसानी और समानता लाएगी। उन्होंने कहा, “राष्ट्रीय शिक्षा नीति अब मातृभाषा में पढ़ाई के रास्ते खोल रही है। इसी क्रम में, संस्कृत जैसी प्राचीन भारतीय भाषाओं को भी आगे बढ़ाया जा रहा है।”

वैश्विक शिक्षा के एक बड़े केंद्र के रूप में उभर सकता है भारत

प्रधानमंत्री ने भरोसा जताते हुए कहा कि भारत वैश्विक शिक्षा के एक बड़े केंद्र के रूप में उभर सकता है। उन्होंने कहा कि भारतीय उच्च शिक्षा को अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुरूप तैयार करने के लिए दिशा-निर्देश जारी किए गए हैं। संस्थानों के अंतरराष्ट्रीय मामलों के लिए 180 विश्वविद्यालयों में विशेष कार्यालय स्थापित किए गए हैं। उन्होंने विशेषज्ञों से इस क्षेत्र में अंतरराष्ट्रीय प्रथाओं से अवगत होने के लिए कहा।

‘लैब टू लैंड’ के दृष्टिकोण के लिए पीएम ने किया आह्वान

प्रधानमंत्री ने व्यावहारिक अनुभव और फील्डवर्क के महत्व पर जोर दिया और ‘लैब टू लैंड’ के दृष्टिकोण के लिए आह्वान किया। उन्होंने शिक्षाविदों से सत्यापित परीक्षण के साथ अपने अनुभव को मान्य करने के लिए कहा। उन्होंने साक्ष्य-आधारित अनुसंधान के लिए कहा। उन्होंने भारत के जनसांख्यिकीय लाभांश पर अनुसंधान करने और इसके इस्तेमाल की सर्वोत्तम तरीके खोजने और दुनिया के वृद्ध समाजों के लिए समाधान खोजने के लिए भी कहा। इसी तरह, लचीला बुनियादी ढांचा अनुसंधान का एक अन्य क्षेत्र है। अंत में, प्रधानमंत्री ने कहा, “राष्ट्रीय शिक्षा नीति’ ने हमें असंख्य संभावनाओं को साकार करने का एक साधन दिया है जो पहले उपलब्ध नहीं था। हमें इसका पूरा उपयोग करने की आवश्यकता है।”

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