सुरंग में फंसे मजदूरों का अब टूट रहा हौसला, सीएम धामी ने इस अधिकारी को दिए निर्देश…
Uttarakhand News: उत्तरकाशी सिलक्यारा टनल हादसा का आज आठंवा दिन है। अभी भी टनल के अंदर फंसे 41 मजदूरों को निकालने की जद्दोजहद चल रही है। सुरंग में फंसे मजदूरों का हौसला अब टूटता जा रहा है। वह सुरंग में काम करने वाले साथियों से पूछ रहे है कि हमें बाहर निकालने के लिए तुम काम कर भी रहे हो या झूठ बोल रहो हो। वहीं इस बीच सीएम पुष्कर सिंह धामी ने उत्तरकाशी सुरंग हादसे में आईएएस नीरज खैरवाल को नोडल अधिकारी बनाया है।
मीडिया रिपोर्टस के अनुसार यमुनोत्री हाईवे पर निर्माणाधीन सिलक्यारा सुरंग में फंसे 41 मजदूरों को बाहर निकालने का रेस्क्यू ऑपरेशन आठवें दिन में प्रवेश कर चुका है। लेकिन अब तक कोई सफलता मिलती नजर नहीं आ रही है। उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के निर्देश पर राज्य के अधीन कार्यरत विभिन्न केंद्रीय संस्थानों से समन्वय स्थापित करने के लिए वरिष्ठ आईएएस अधिकारी डॉ. नीरज खैरवाल को नोडल अधिकारी नियुक्त किया है. डॉक्टर खैरवाल नोडल अधिकारी के रूप में उत्तराखंड राज्य के अंतर्गत कार्यरत विभिन्न केंद्रीय संस्थानों से समन्वय स्थापित कर उनके द्वारा किये जा रहे कार्यों की निगरानी करेंगे। इसके साथ ही आवश्यकतानुसार राज्य की ओर से सहयोग एवं सुझाव भी केंद्रीय संस्थानों को भेजे जाएंगे।
वहीं मजदूरों के बाहर न निकलने पर साथी गुस्साए मजदूरों ने एकजुट होकर सुप्रीम कोर्ट के अधिवक्ता प्रशांत प्रसाद के नेतृत्व में एनएचआईडीसीएल व नवयुगा कंपनी के खिलाफ जोरदार प्रदर्शन किया है।अमेरिकन ऑगर मशीन के बाद अब इंदौर से एक अन्य ऑगर मशीन लाई गई है। तीन ट्रकों के माध्यम से मशीन सिलक्यारा टनल पहुंच चुकी है। वहीं, शनिवार को पीएमओ की टीम ने भी घटना स्थल का जायजा लिया. जबकि सेना ने भी मजदूरों के रेस्क्यू ऑपरेशन पर मोर्चा संभाल लिया है। दूसरी तरफ उत्तराखंड सरकार ने टनल प्रकरण पर नोडल अधिकारी नियुक्त कर दिया है।
प्रदर्शनकारी प्रशांत ने आरोप लगाया कि कंपनी यहां मजदूरों को नहीं बल्कि सुरंग को बचाना चाहती है। मजदूर हंसराज ने कहा कि यहां रेस्क्यू ऑपरेशन को गंभीरता से नहीं चल रहा है। अधिकारी पिकनिक मना रहे हैं। चंदन ने कहा कि अंदर फंसे उनके साथियों का हौसला अब टूट रहा है और वह रो रहे हैं। कहा कि एक मशीन फेल हो रही है तो दूसरी आती है। अंदर फंसे आदमी को कैसे समझाएं। वह तो यही कहते हैं कि हमको निकाल लो भाई।