देवभूमि की रक्षक मां धारी देवी की नौ साल बाद इस दिन होगी मंदिर में स्थाई विराजमान…

Dhari Devi: हमारे देश प्राचीन और रहस्यमय मंदिरों की कोई कमी नहीं है। कुछ ऐसा ही एक मंदिर उत्तराखंड के श्रीनगर से थोड़ी दूरी पर स्थित है। जहां मां के कई चमत्कार देखने को मिलते हैं। मां धारी देवी को देवभूमि की रक्षक भी कहा जाता है। लेकिन आपदा और परियोजना के बीच में नौ साल से माँ अपने मंदिर से दूर है। अब आगामी 28 जनवरी को आखिरकार मां धारी देवी अपने नवनिर्मित मंदिर में विराजमान हो जाएंगी। इस खबर से देवभूमि के लोगों में भी खुशी की लहर है।

मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार ये मंदिर देवी काली को समर्पित है। इसके साथ ही मां धारी उत्तराखंड के चारधाम की रक्षा भी करती हैं। मां धारी देवी का ये खूबसूरत मंदिर झील के बीचों-बीच बना हुआ है। बता दें कि सिद्धपीठ धारी देवी का मंदिर श्रीनगर से करीब 13 किलोमीटर दूर अलकनंदा नदी किनारे स्थित था। श्रीनगर जल विद्युत परियोजना के निर्माण के बाद यह डूब क्षेत्र में आ रहा था। इसके लिए इसी स्थान पर परियोजना संचालन कर रही कंपनी की ओर से पिलर खड़े कर मंदिर का निर्माण कराया जा रहा था, लेकिन जून 2013 में केदारनाथ जल प्रलय के कारण अलकनंदा नदी का जलस्तर बढ़ने की वजह से प्रतिमाओं (धारी देवी, भैरवनाथ और नंदी) को अपलिफ्ट कर दिया गया। पिछले नौ साल से प्रतिमाएं इसी अस्थायी स्थान में विराजमान हैं।

धारी देवी की प्रतिमा की पूजा नदी में ही बने अस्थायी मंदिर में हो रही है, लेकिन धारी देवी का स्थायी मंदिर का निर्माण लगभग चार साल पूर्व कंपनी की ओर से इसी के समीप नदी तल से करीब 30 मीटर ऊपर पिलर पर पर्वतीय शैली में कराया गया। हालांकि, कंपनी और आद्या शक्ति मां धारी पुजारी न्यास में सहमति न बन पाने की वजह से बार-बार प्रतिमाओं की शिफ्टिंग की तिथि आगे खिसकती रही। जिसकी वजह से नया मंदिर भी अब तक खाली ही था। पर्वतीय शैली में बना यह मंदिर बेहद आकर्षक है और केदारनाथ-बदरीनाथ जाने वाले तीर्थयात्री यहां से दर्शन कर आगे बढ़ते हैं। धारी देवी की प्रतिमा को लेकर मान्यता है कि यह प्रतिमा दिन में तीन बार अपना रूप बदलती है। कहा जाता है कि मां की मूर्ति सुबह के समय एक कन्या के रूप में नजर आती है तो दिन के समय यह एक युवती का रूप धारण कर लेती है, जबकि शाम के समय यह प्रतिमा वृद्धा का रूप ले लेती है।

मान्यता है कि जल विद्युत परियोजना के लिए अलकनंदा पर बांध बनाया जा रहा था। यहां श्रीनगर से लगभग 14 किमी दूर स्थित सिद्धपीठ धारी देवी का मंदिर डूब क्षेत्र में आ रहा था। परियोजना कंपनी ने धारी देवी मंदिर से प्रतिमा को अपलिफ्ट करने की ठानी। गढ़वाल के लोगों ने इसका विरोध किया और इसे विनाशकारी भी बताया था, लेकिन कंपनी के अधिकारियों ने उनकी एक न सुनी और धारी देवी की प्रतिमा को 16 जून 2013 को अपलिफ्ट किया गया। उसी दिन केदारनाथ में जल प्रलय आ गया और सैंकड़ों लोग काल के गाल में समा गए। इस विनाशकारी आपदा के लिए गढ़वाल के लोग परियोजना कंपनी को दोषी मानते हैं और जल प्रलय धारी देवी का प्रकोप माना जाता है।

 

Leave A Reply

Your email address will not be published.

Khatron Ke Khiladi Season 14 : जानिए कौन हैं इस बार के Contestant? Benefits of Mushrooms : जानिए मशरूम सेहत के लिए कितने फायदेमंद.. Happy Birthday Salman Khan: जानिए! भाई जान से जुड़े कुछ ख़ास Facts…