महाशिवरात्रि आज: पंचग्रही योग के बीच होगी भगवान शिव की पूजा, भक्तों को होगा बड़ा लाभ
देहरादून। फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को महाशिवरात्रि (Mahashivratri)व्रत रखा जाता है। इस वर्ष महाशिवरात्रि (Mahashivratri) मंगलवार को है। चतुर्दशी तिथि मंगलवार की सुबह 03 बजकर 16 मिनट से शुरू होकर 02 मार्च, बुधवार को सुबह करीब 10 बजे तक रहेगी। महाशिवरात्रि के दिन भगवान भोलेनाथ की पूजा और व्रत रखने का विशेष महत्व होता है। महाशिवरात्रि को लेकर कई कथाएं प्रचलित हैं। एक कथा के अनुसार माता पार्वती ने शिव को पति रूप में पाने के लिए कठिन तपस्या की थी जिसके फलस्वरूप फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को माता पार्वती का विवाह भगवान शिव से हुआ। इसी कारण इस दिन को अत्यन्त ही महत्वपूर्ण माना जाता है। इस वर्ष महाशिवरात्रि पर मकर राशि में पंचग्रही योग बन रहा है। इस दिन मंगल, शनि, बुध, शुक्र और चंद्रमा रहेंगे। लग्न में कुंभ राशि में सूर्य और गुरु की युति रहेगी। राहु वृषभ राशि, जबकि केतु दसवें भाव में वृश्चिक राशि में रहेगा। यह ग्रहों की दुर्लभ स्थिति है और विशेष लाभकारी हैं। ज्योतिष अनुसार यह संयोग 120 साल बाद बन रहा है जो शिवभक्तों के लिए अत्यंत शुभ है। जानिए पूजा का शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और इसका महत्व।
महाशिवरात्रि पूजा का महत्व
महाशिवरात्रि पर्व के यदि धार्मिक महत्व की बात की जाए तो महाशिवरात्रि (Mahashivratri) शिव और माता पार्वती के विवाह की रात्रि मानी जाती है। मान्यता है इस दिन भगवान शिव ने सन्यासी जीवन से ग्रहस्थ जीवन में प्रवेश किया था। महाशिवरात्रि की रात को भक्त जागरण करके माता-पार्वती और भगवान शिव की आराधना करते हैं। यह मान्यता है कि जो भक्त ऐसा करते हैं उनकी सभी मनोकामनाएं पूरी होती है। यह भी मान्यता है कि इस दिन महादेव का व्रत रखने से सौभाग्य और समृद्धि की प्राप्ति होती है। महाशिवरात्रि के दिन भगवान शिव के लिंग स्वरूप का पूजन किया जाता है। यह भगवान शिव का प्रतीक है। शिव का अर्थ है- कल्याणकारी और लिंग का अर्थ है सृजन।
महाशिवरात्रि पूजा मुहूर्त
अभिजीत मुहूर्त – 1 मार्च सुबह 11:47 से दोपहर 12:34 तक
विजय मुहूर्त – दोपहर 02:07 से 02:53 तक
गोधूलि मुहूर्त – शाम 05:48 से 06:12 तक गोधूलि मुहूर्त होगा
* पूजा या शुभ कार्य करने के लिए अभिजीत और विजय मुहूर्त को श्रेष्ठ माना गया है।
पूजा मुहूर्त के साथ जानें चार पहर की पूजा का समय
पहले पहर की पूजा: 1 मार्च 2022 को 6:21 pm से 9:27 pm तक
दूसरे पहर की पूजा: 1 मार्च को रात्रि 9:27 pm से 12:33 am तक
तीसरे पहर की पूजा: 2 मार्च को रात्रि 12:33 am से सुबह 3:39 am तक
चौथे पहर की पूजा: 2 मार्च 2022 को 3:39 am से 6:45 am तक
व्रत का पारण: 2 मार्च 2022, बुधवार को 6:45 am
पूजा सामग्री
भगवान शिव पर अक्षत, पान, सुपारी, रोली, मौली, चंदन, लौंग, इलायची, दूध, दही, शहद, घी, धतूरा, बेलपत्र, कमलगट्टा आदि भगवान को अर्पित कर पजून करें और अंत में आरती करें।
ऐसे करें शिव पूजा
महाशिवरात्रि के दिन शिवलिंग पर चन्दन के लेप लगाकर पंचामृत से शिवलिंग को स्नान कराएं।
दीप और कर्पूर जलाएं।
पूजन के समय ‘ऊं नमः शिवाय’ मंत्र का जाप करें।
भगवान शिव को बेलपत्र और फूल अर्पित करें।
पूजा के बाद गोबर के उपलों को जलाकर तिल, चावल और घी की मिश्रित आहुति दें।
हवन के पश्चात किसी भी एक साबुत फल की आहुति दें।
सामान्यत: लोग सूखे नारियल की आहुति देते हैं।
महाशिवरात्रि के दिन पढ़ें ये शिव मंत्र
1. शिव मोला मंत्र
ॐ नमः शिवाय॥
2. महा मृत्युंजय मंत्र
ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्
उर्वारुकमिव बन्धनान् मृत्योर्मुक्षीय मामृतात्॥
3. रूद्र गायत्री मंत्र
ॐ तत्पुरुषाय विद्महे महादेवाय धीमहि
तन्नो रुद्रः प्रचोदयात्॥
जानिए महाशिवरात्रि के दिन उपवास व जागरण का महत्व
ऋषि-मुनियों ने समस्त आध्यात्मिक अनुष्ठानों में उपवास को महत्त्वपूर्ण माना है। गीता के अनुसार उपवास विषय निवृत्ति का अचूक साधन है। आध्यात्मिक साधना के लिये उपवास करना परमावश्यक है। उपवास के साथ रात्रि जागरण का महत्व है। उपवास से इन्द्रियों और मन पर नियंत्रण करने वाला संयमी व्यक्ति ही रात्रि में जागकर अपने लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए प्रयत्नशील हो सकता है। इन्हीं सब कारणों से इस महारात्रि में उपवास के साथ रात्रि में जागकर शिव पूजा करते हैं।