नई शिक्षा नीति से भारत बन सकता है विश्व गुरु : कुलपति
- श्री गुरु राम राय विश्वविद्यालय में गुणवत्तापूर्ण शिक्षा को लेकर कार्यशाला का आयोजन
अभिज्ञान समाचार/ देहरादून। श्री गुरु राम राय विश्वविद्यालय में आंतरिक गुणवत्ता आश्वासन प्रकोष्ठ (IQAC) के द्वारा एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया। ‘उच्च शिक्षा में गुणवत्ता और राष्ट्रीय शिक्षा नीति में शोध का परिदृश्य’ विषय पर आयोजित कार्यशाला के मुख्य वक्ता हिमालय विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ जेपी पचौरी और गढ़वाल विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति डॉक्टर एमएसएम रावत रहे। विशेषज्ञों ने नई शिक्षा नीति के विभिन्न पहलुओं पर प्रकाश डालते हुए इसे नए भारत के निर्माण में कारगर बताया।
कार्यशाला के उद्घाटन के अवसर पर विश्वविद्यालय के कुलाधिपति महंत देवेंद्र दास महाराज ने कार्यशाला के सफल आयोजन के लिए आयोजकों को शुभकामनाएं प्रेषित की। कार्यशाला का शुभारंभ विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ.यू एस रावत और उपस्थित अतिथियों के द्वारा दीप प्रज्वलन कर किया गया। उपस्थित प्रतिभागियों को संबोधित करते हुए कुलपति डॉ. यू एस रावत ने कहा कि नई शिक्षा नीति 2022 में सरकार ने पुराने समय में चली आ रही शिक्षा प्रणाली को बेहतर बनाने का प्रयास किया है। उन्होंने कहा कि यदि इसे कार्य कुशलता और कर्मठता के साथ लागू किया जाए तो नई शिक्षा नीति के माध्यम से भारत को वैश्विक ज्ञान महाशक्ति बनाया जा सकता है। उन्होंने छात्रों के चहुमुखी विकास की ओर ध्यान दिलाते हुए कहा कि छात्रों को पाठ्यक्रम सामग्री को सफलतापूर्वक लागू करने के लिए एक उच्च गुणवत्ता वाली शिक्षण पद्धति की भी आवश्यकता है। साथ ही उन्होंने श्री गुरु राम राय विश्वविद्यालय द्वारा छात्रों और शिक्षकों के कौशल विकास किए जाने पर विश्वविद्यालय की सराहना की।
कार्यशाला के प्रथम वक्ता हेमवती नंदन बहुगुणा गढ़वाल विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति डॉ एम एम रावत ने नई शिक्षा नीति पर विस्तार से प्रकाश डाला। उन्होंने नई शिक्षा नीति के तहत विभिन्न आयामों पर विस्तार पूर्वक चर्चा की। उन्होंने पारंपरिक शिक्षा पद्धति और नई शिक्षा पद्धति के बीच तालमेल बिठाने के साथ ही सार्वभौमिक और गुणवत्तापूर्ण शिक्षा की आवश्यकता पर जोर दिया। इस अवसर पर हिमालय विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर डॉ जेपी पचौरी ने नैक से संबंधित डाटा के सही प्रस्तुतीकरण की बात की। उन्होंने शिक्षा की गुणवत्ता के साथ ही शिक्षकों की गुणवत्ता पर भी ध्यान दिलाया, साथ ही यह भी कहा कि शिक्षक सूचना के रचयिता है वह किसी भी जानकारी को वृहद स्तर तक पहुंचाने की काबिलियत रखते हैं। गूगल का उदाहरण देते हुए उन्होंने कहा कि इसमें भंडारित की जाने वाली अधिकतर सूचनाएं विद्वान शिक्षकों के द्वारा ही उपलब्ध कराई गई है।
इस अवसर पर विश्वविद्यालय के रजिस्ट्रार डॉ दीपक साहनी ने कहा कि श्री गुरु राम राय विश्वविद्यालय छात्रों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा देने के लिए प्रतिबद्ध है और यहां के शिक्षक अनुभवी और उच्च प्रशिक्षित हैं। कार्यशाला के समापन पर विश्वविद्यालय की शैक्षिक समन्वयक डॉ मालविका कांडपाल ने उपस्थित बौद्धिक जनों को संबोधित करते हुए कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति और व्यवसायिक शिक्षा राष्ट्र की दूरी है। व्यवसायिक शिक्षा आज एक महत्वपूर्ण आवश्यकता बन गया है और श्री गुरु राम राय विश्वविद्यालय व्यवसायिक शिक्षा के साथ ही कोविड-19 के दौर से लेकर इन 2 वर्षों में शिक्षा के डिजिटलाइजेशन के क्षेत्र में अभिनव प्रयोग कर रहा है।
इस अवसर पर आइक्यूएसी की निदेशक डॉ कुमुद सकलानी ने कार्यशाला से संबंधित जानकारी विस्तार के साथ साझा की। इस अवसर पर आइक्यूएसी की निदेशक डॉ कुमुद सकलानी, सौरभ गुलेरी एवं अरुण कुमार द्वारा लिखित पुस्तक “पर्सपेक्टिव इन बेसिक एंड अप्लाइड रिसर्च” का भी विमोचन किया गया। कार्यशाला में डॉ कुमुद सकलानी, विश्वविद्यालय समन्वयक डॉ आर पी सिंह, डीन रिसर्च प्रोफेसर अरुण कुमार, डॉ मनोज गहलोत, डॉ कंचन जोशी, मनोज जखमोला के साथ ही संबंधित स्कूलों के डीन विभागाध्यक्ष शिक्षक गण शोधार्थी और राज्य के विभिन्न विश्वविद्यालयों और कॉलेजों से आए छात्र और शिक्षक मौजूद रहे।