उत्तराखंड में एक बार फिर से कैबिनेट विस्तार की चर्चा तेज…
Uttarakhand News: उत्तराखंड में एक बार फिर से कैबिनेट विस्तार की चर्चा चल पड़ी है। माना जा रहा है कि देश के पांच राज्यों में चल रहे विधानसभा चुनाव संपन्न होने के बाद उत्तराखंड की राजनीति में बड़ी हलचल हो सकती है। राज्य में कैबिनेट विस्तार और दायित्वधारियों की अगली सूची जारी होने की संभावना जताई जा रही है। जिसे लेकर कयासों का बाजार गर्म हो गया है। किसे क्या दायित्व मिल सकता है इस पर चर्चा की जा रही है।
दरअसल, साल 2022 में हुए विधानसभा चुनाव के बाद से ही मंत्रिमंडल के तीन पद खाली चल रहे हैं। इसके साथ ही एक मंत्री के निधन के बाद 4 मंत्रिमंडल की सीट खाली हो गई है। शुरू में बागेश्वर उपचुनाव नतीजों की घोषणा के बाद मंत्रिमंडल विस्तार किए जाने की सुगबुगाहट थी। नतीजा आए हुए भी ज्यादा वक्त बीत चुका है। मंत्रिमंडल में सीट के दावेदारों की मुराद पूरी नहीं हुई। ऐसे में एक बार फिर विधायकों की उम्मीदें बढ़ गई हैं। हरिद्वार और नैनीताल जिले को अभी तक धामी कैबिनेट में नुमाइंदगी नहीं मिली है।
उम्मीद है कि धामी कैबिनेट में फेरबदल के बाद हरिद्वार और नैनीतल से एक-एक चेहरे को जगह मिल सकती है. 2022 के विधानसभा चुनाव में हरिद्वार जिले से बीजेपी को मात्र तीन सीट प्राप्त हुई थी। नैनीताल जिले की 6 विधानसभा सीटों में पांच पर बीजेपी का कब्जा है। एक सीट कांग्रेस के खाते में है। ऐसे में माना जा रहा है कि अब दोनों जिलों को धामी मंत्रिमंडल में प्रतिनिधित्व मिल सकता है। कैबिनेट विस्तार की सबसे बड़ी वजह विपक्षी गठबंधन इंडिया की तरफ से उछाला गया ओबीसी का मुद्दा है।ओबीसी समाज को ज्यादा प्रतिनिधित्व देने के लिए उत्तराखंड में दो ओबीसी कोटो से मंत्री बनाए जा सकते हैं। ऐसा होने पर हरिद्वार के रानीपुर से विधायक आदेश चौहान की किस्मत खुल सकती है।
ओबीसी कोटे से आदेश चौहान को मंत्रिमंडल में जगह मिल सकती है। पूर्व कैबिनेट मंत्री चंदन रामदास की मौत के बाद अनुसूचित जाति से एक विधायक को धामी कैबिनेट में जगह मिलना तय माना जा रहा है। मंत्रीपद की दौड़ में कई चेहरे शामिल हैं। देश के पांच राज्यों मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, राजस्थान, मिजोरम और तेलंगाना में चुनाव चल रहे हैं। हालांकि, 30 नवंबर को मतदान की प्रक्रिया संपन्न होने के बाद 3 दिसंबर को मतगणना होगी। ऐसे में संभावना है कि इन राज्यों के नतीजे आने के बाद, धामी मंत्रिमंडल विस्तार और नेताओं को दायित्व दिया जा सकता है।