विशाल गौ प्रतिष्ठा महोत्सव संपन्न, गौमाता को राष्ट्रमाता का सम्मान दिलाने गोपाष्टमी के दिन करोड़ों लोग करेंगे दिल्ली कूच

देहरादून। विशाल गौ महोत्सव के समापन अवसर पर संत गोपालमणि महाराज ने कहा कि देव शक्तियों ने अपनी कृपा दिखा दी है। इसीलिए दोनों देवभूमियों से उत्तराखंड और हिमाचल से गौमाता राष्ट्रमाता का प्रस्ताव सरकारों के द्वारा सर्वसम्मति से सदन में पारित करके केंद्र सरकार को 2019 में भेजा जा चुका है। अब समय आ गया है कि करोड़ों हिंदुओं की आवाज को केंद्र में बैठी सनातनी सरकार सुने और अविलंब गौमाता को राष्ट्रमाता का संवैधानिक सम्मान दें। अन्यथा 20 नवंबर 2023 को गोपाष्टमी के दिन करोड़ों लोग दिल्ली में गौमाता को राष्ट्रमाता का सम्मान दिलाने के लिए कूच करेंगे।

गुरुनानक महिला इंटर कॉलेज रेसकोर्स के मैदान में आयोजित गौ महोत्सव के अंतिम दिन गौ भागवत गौ-कथा धेनुमानस का श्रवण करने हज़ारों भक्तगण कथा स्थल पहुंचे। आज सूर्यकान्त धस्माना ने कहा कि संत गोपालमणी महाराज भारत के एकमात्र गौ-कथा वाचक के रूप में स्थापित हो चुके हैं। उन्होंने कहा कि चाहे कोई भी सरकार हो देहरादून में गौ महामहोत्सव में सम्मिलित होने से कोई नहीं रोक सकती। उन्होंने कहा कि गौ की रक्षा को सभी भारत के नागरिकों सहित विश्व के लोगों को लगातार प्रयास करना चाहिए। उन्होंने कहाँ की 20 नवंबर 2023 को गौ-माता राष्ट्रमाता के इस अभियान में सबसे आगे देवडोली सहित उत्तराखंड राज्य के लोग सबसे ज्यादा और सबसे अधिक होने चाहिए। उन्होंने कहा कि यह एक दिव्य अभियान हैं जिसमें सभी को सनातनी बनकर आगे आना चाहिए ना कि राजनीती करनी चाहिए।

गौ प्रतिष्ठा अभियान देहरादून में उत्तराखंड से 51 देवडोलियों ने भाग लिया आज अंतिम दिन सभी देवडोलियों को विधिवत रीती-धीति के साथ ससम्मान विदाई की गयी। जैसे ही देवडोलियों की विदाई का समय आया तो महिलाओं की आँखों में आँसू थे। हज़ारों की संख्या में लोगों की आँखों से अश्रुधाराएं बहती चली जा रही थी। सभी को लग रहा था की उनके ईष्टदेव आज उन्हें 7 दिनों बाद छोड़ के जा रहें हैं।गौ कथा का श्रवण करने के लिए देश के विभिन्न राज्यों से सैकड़ो लोग उपस्थित थे।

उत्तराखण्ड की सभी देव शक्तियाँ देव डोलियाँ ढोल दमाऊं के साथ एक स्वर में गौमाता को राष्ट्रमाता घोषित करने का आशीर्वाद दे रही थीं। सनातन संस्कृति की मूल आधार गौमाता की प्रतिष्ठा हेतु गौमाता- राष्ट्रमाता विचार के जनक ध्वजवाहक गौऋषि गौ-गंगा कृपाकांक्षी परम शरदीय संत गोपाल ‘मणि’ महाराज पिछले डेढ़ दशक से पूरे देश और दुनिया में निरन्तर बड़े आंदोलन एवं अभियान चला रहे हैं। अंतिम दिन गौमाता-राष्ट्रमाता की गौ कथा को भक्तों ने सीता-शरण व संत गोपाल मणि महाराज के मुखारबिन्द से सुना। महोत्सव के अंतिम दिवस कई पूर्व मंत्रियों सहित अन्य गणमान्य जनों ने कथा श्रवण किया।

इस दौरान कार्यक्रम के अध्यक्ष बलवीर सिंह पंवार, संरक्षक मनोहर लाल जुयाल, हरीश चंद्र नौटियाल संयोजक अजयपाल सिंह रावत, कार्यकारी अध्यक्ष शूरवीर सिंह मतूड़ा, महासचिव यशवंत सिंह रावत, व्यवस्थापक सूरत राम डंगवाल, घनश्याम सिंह नेगी, आचार्य राकेश सेमवाल, यमुनोत्री तीर्थ पुरोहित पवन उनियाल, आचार्य संतोष खंडूड़ी, जिलाध्यक्ष आनन्द सिंह रावत, भू-क़ानून अभियान के संस्थापक शंकर सागर रावत, गीता बागड़ी, रूपम देवी मतुड़ा, भुवनेश्वरी नेगी, तेजराम नौटियाल, रविन्द्र सिंह राणा, तुलसीराम बडोनी, शशि भंडारी, मधु रतूड़ी, कांति बड़थ्वाल, रामप्यारी इष्टवाल, अशोक मिश्र, डॉ रामभूषण बिजल्वाण, आचार्य विपिन जोशी, सुशील गौड़, बीडी सेमवाल, दिलवर सिंह रावत पूर्व राज्यमंत्री, महेंद्र सिंह नेगी महामंत्री कॉंग्रेस, शीशपाल बिष्ट प्रदेश प्रवक्ता कांग्रेस, डा. अजय बिष्ट, अरुण शर्मा अ. भा. ब्राह्मण सभा अध्यक्ष, यमनोत्री विधायक संजय डोभाल, लखीराम जोशी पूर्व मंत्री उत्तराखंड, एस. ए नमियाल, जयइन्द्र कुलसारी सहित सैकड़ों गणमान्यजन व समस्त मातृशक्ति उपस्थित रहे।

एक स्वर में उठे आवाज तो उसी क्षण गौमाता राष्ट्रमाता बन जाएगी : संत गोपाल मणि महाराज

कथा के अंतिम दिन संत गोपाल मणि महाराज ने कहा कि आगामी 17-18 नवम्बर को दिल्ली में गौ-कथा का महामहोत्सव होगा और 20 नवंबर 2023 को गोपाष्टमी के दिन करोड़ों लोग दिल्ली में गौमाता को राष्ट्रमाता का सम्मान दिलाने के लिए दिल्ली कूच करेंगे। उन्होंने  कहा कि ऐसा नहीं है कि प्रधानमंत्री इस कार्य को नहीं करना चाहते। वह भी गौमाता का संवर्द्धन और सम्मान करना चाहते हैं लेकिन इसमें विलंब इसलिए हो रहा है क्योंकि गौ को माँ मानने वाले लोग आपस में बिखरे हुए हैं, एक नहीं है, जिस दिन सभी लोग एक स्वर में कहेंगे कि गौमाता-राष्ट्रमाता होनी चाहिए उसी क्षण गौमाता राष्ट्रमाता बन जाएगी। जब तक गौमाता को राष्ट्रमाता का संवैधानिक सम्मान नहीं मिल जाता तब तक एक भारत श्रेष्ठ भारत की कल्पना व्यर्थ है। एकता के सूत्र में बांधने वाली मात्र एक शक्ति है उसका नाम है ‘गाय’। मणि महाराज ने अंतिम दिन विशाल गौ महोत्सव को भव्य बनाने के लिए समस्त जनता जनार्दन का धन्यवाद किया

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