न्यूज डेस्क। Covid 19 से बचाव के लिए नाक से दी जाने वाली भारत में विकसित दुनिया की पहली वैक्सीन को केन्द्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन (Central Drugs Standard Control Organization) की मंजूरी मिल गई है। इसका इस्तेमाल 18 वर्ष और उसके ऊपर आयु के लिए व्यक्तियों के लिए आपात स्थिति में किया जा सकता है।
केन्द्रीय मंत्री डॉक्टर जितेन्द्र सिंह ने दिल्ली में जैव प्रौद्योगिकी विभाग के अंतर्गत स्वायत्त संस्थानों की समितियों की बैठक की अध्यक्षता करते हुए दी। मंत्री ने बताया कि इस वैक्सीन के लिए उत्पाद विकास और क्लीनिकल परीक्षणों का खर्च कोविड सुरक्षा मिशन के अंतर्गत जैव प्रौद्योगिकी विभाग और जैव प्रौद्योगिकी उद्योग अनुसंधान सहायता परिषद ने वहन किया।
डॉ. जितेंद्र सिंह ने बताया कि मिशन कोविड सुरक्षा कार्यक्रम के तहत उत्पाद विकास और नैदानिक परीक्षणों को जैव प्रौद्योगिकी विभाग, भारत सरकार और बाइरैक द्वारा वित्त पोषित किया गया था। इस वैक्सीन को प्राथमिक दो खुराक कार्यक्रम और सजातीय उचित बूस्टर खुराक के लिए 18 वर्ष और उससे अधिक आयु के आपातकालीन स्थितियों में प्रतिबंधित उपयोग के अंतर्गत अनुमोदन प्राप्त हो गया है।
मंत्री ने भारत बायोटेक इंटरनेशनल लिमिटेड (BBIL) द्वारा कोविड के लिए विश्व के पहले इंट्रानेजल वैक्सीन के विकास में सहयोग के लिए जैव प्रौद्योगिकी विभाग और उसके लोक उपक्रम जैव प्रौद्योगिकी उद्योग अनुसंधान सहायता परिषद (बाइरैक-बीआईआरएसी) की भूमिका की सराहना की।
बता दें कि iNCOVACC एक पूर्व-संलयन स्थिर SARS-CoV-2 स्पाइक प्रोटीन के साथ एक पुनः संयोजक प्रतिकृति की कमी वाले एडेनोवायरस वेक्टरेड वैक्सीन है। बायोलॉजिकल ई के कॉर्बेवैक्स के बाद यह नेसल वैक्सीन भारत में दूसरा स्वीकृत कोविड -19 वैक्सीन है, जिसे मिक्स-एंड-मैच बूस्टर शॉट के रूप में इस्तेमाल किया जा सकता है।