चारों पीठ के शंकराचार्य की घोषणा, आने वाला नया सम्वत्सर गौमाता का होगा: संत गोपाल मणि महाराज

आखिरकार 6 फरवरी, 2024 को श्री शंकराचार्य शिविर माघ मेला क्षेत्र प्रयागराज तीर्थ में होने जा रही गो संसद् में पहुंचाने का लिया गया निर्णय

  • गौ माता की करुण पुकार, सुने देश की हर सरकार

देहरादून। चारों पीठों के शंकराचार्यों व देश के प्रतिष्ठित सन्त महापुरुषों द्वारा स्वत:- स्फूर्त गौमाता राष्ट्रमाता प्रतिष्ठा आंदोलन के तत्वावधान में गौ- संसद् के अंतर्गत दिनांक 12 दिसम्बर 2023 को काशी (वाराणसी) से भारत के सभी प्रदेशों के लिए गौ-दूतों की नियुक्ति की गई है। साथ ही विक्रम संवत् 2080 माघ कृष्ण पक्ष एकादशी, दिन मंगलवार तदनुसार दिनांक 6 फरवरी, 2024 ई. को श्री शंकराचार्य शिविर माघ मेला क्षेत्र, प्रयागराज तीर्थ में होने जा रही गो संसद् में पहुंचाने का निर्णय किया गया है।

आजादी के 75 वर्ष बीत जाने के पश्चात आजादी की सूत्रधार, अमृत की प्रदाता, हमारी आस्था और श्रद्धा की मूल केंद्र, सात्विक (पॉजिटिव) ऊर्जा का स्रोत, राष्ट्र की सुख समृद्धि का मूल आधार, सुव्यवस्थित उत्तम विकास व अर्थव्यवस्था का मेरुदंड राष्ट्र-धर्म व संस्कृति के अविरल विकास की जननी गौमाता की हत्या का कलंक ऋषि-मुनियों की इस पवित्र तपोभूमि भारत से समाप्त करवाकर राष्ट्रमाता का सर्वोच्च सम्मान प्रदान करवाने हेतु हमारे राज्य के सभी संसदीय क्षेत्रों से गो राष्ट्रभक्त, कर्तव्यनिष्ठ संतों की नियुक्ति करके विक्रम संवत् 2080 माघ कृष्ण पक्ष एकादशी, दिन मंगलवार तदनुसार दिनांक 6 फरवरी, 2024 ई. को श्री शंकराचार्य शिविर माघ मेला क्षेत्र, प्रयागराज तीर्थ में होने जा रही गो संसद् में पहुंचाने का निर्णय किया गया है।

हमारे प्रदेश के प्रत्येक क्षेत्रों में इस गो प्रतिष्ठा आंदोलन अभियान का वातावरण निर्माण करने, चारों पीठों के पूज्य जगद्गुरु शंकराचार्य व राष्ट्र के प्रतिष्ठित संत महापुरुष गौक्रन्ति अग्रदूत संत गोपाल मणि महाराज और प्रधान पीठों के आचार्यों को आदेश तथा इस कार्य की सफलता का दायित्व हमें प्राप्त हुआ।

प्रदेश के सभी प्रतिष्ठ संत-महापुरुषों व समस्त सनातनियों को पूज्य शंकराचार्यों के आदेशानुसार एकजुट होकर इस स्वत: स्फूर्त गो-प्रतिष्ठा आंदोलन को संपूर्ण देश में गति प्रदान करना है। दिनांक 4 जनवरी 2024 को वृंदावन में सभी प्रदेशों के गौ भक्तों की एक विशेष गोसभा आयोजित होगी। जिसमें आंदोलन के विभिन्न पहलुओं को स्पष्टता देते हुए कमर कसी जाएगी।

15 जनवरी 2023 जनवरी 2024 तक दिल्ली में गो- प्रतिष्ठा आंदोलन हेतु 11 गो- विशेषज्ञ समूहों की बैठक आयोजित की जाएगी। जिसमें गो-धर्म विशेषज्ञ, गो आर्थिकी की विशेषज्ञ, गो- ऊर्जा विशेषज्ञ गो-कानून विशेषज्ञ, गो विज्ञान विशेषज्ञ, गौ-राजनीति विशेषज्ञ, गो-संगठन विशेषज्ञ गो- मीडिया विशेषज्ञ, गो- प्लेसमेंट (रोजगार) विशेषज्ञ गौ-व्यवहार विशेषज्ञ, गौ-पर्यावरण एवं पंचातत्व विशेषज्ञ होंगे।

यदि इससे काम नहीं हुआ तो दिनांक 30 जनवरी 2024 को को विशेषज्ञों से प्राप्त आंकड़ों एवं निष्कर्षों के साथ गो-प्रतिष्ठा आंदोलन के लोगों को प्रतिनिधिमणडल देश के महामहिम राष्ट्रपति महोदय प्रधानमंत्री, गृहमंत्री और विविन्न प्रदेशों के मुख्यमंत्रियों से जाकर मिलेंगे और इससे भी अगर काम नहीं हुआ तो फिर 6 फरवरी 2024 को प्रयागराज तीर्थ में एक वृहद् गो- संसद का आयोजन होगा। जिसमें देशभर के सभी सांसदियों क्षेत्रों से एक-एक गांव प्रतिनिधि मनोनीत होकर उसे गो-संसद में सम्मिलित होगा और देश की जनता की ओर से प्रस्ताव पारित करेगा।

यदि फिर भी काम नहीं हुआ तो आध्यात्मिक उपायों एवं दैविक शक्तियों को प्रधानता देते हुए इस पवित्र गो-आंदोलन की सफलता हेतु आह्मन द्वारा किया जाएगा, जिसमें स्वत: स्फूर्त गौ प्रतिष्ठा आंदोलन के तत्वाधान में 10 फरवरी से 19 फरवरी तक दिल्ली के रामलीला मैदान में अश्वमेघ महायज्ञ किया जाएगा, जिसकी जिम्मेदारी श्रीमहंत पूज्य रविंद्रपुरीजी महाराज, अध्यक्ष- अखिल भारतीय सनातन परिषद व अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद को दिया गया है दिनांक 14 फरवरी से 20 फरवरी तक मध्य प्रदेश के नरसिंहपुर जिले में नर्मदा नदी के ब्रह्मघाट पर गो-रुद्र महायज्ञ किया जाएगा, जिसकी जिम्मेदारी महामण्डलेश्वर पूज्य साध्वी श्याम दीदीजी को दिया जाएगा दिया गया है।

दिनांक 15 फरवरी से 21 फरवरी तक महाराष्ट्र प्रदेश के अमरावती में सिद्ध बाल हनुमान गोरक्षण, डरगाॅव में कामधेनु महायज्ञ किया जाएगा, जिसकी जिम्मेदारी 1008 महात्यागी पूज्य माधवदासजी महाराज को सौंपी गयी है। इतना संघर्ष करने के बाद भी यदि स्वत:- स्फूर्त गो-प्रतिष्ठा आंदोलन के पक्ष में गो-सांसद संतों के मतानुसार परिणाम नहीं आया, तो फिर दिनांक 10 मार्च 2024 को संपूर्ण देश में दिल्ली में गो-भक्त एकत्रित होंगे और दिनांक 6 फरवरी 2024 को आयोजित गो- संसद् द्वारा पारित प्रस्तावों को अनुसार कार्य करते हुए गौमाता को राष्ट्रमाता की प्रतिष्ठा दिलाने हेतु अंतिम हर एक आवश्यक प्रयास किये जायेंगे विद्वान् संतो द्वारा पहले से ही यह तय हो चुका है कि और यदि घोषणा की जा चुकी है कि आने वाला नव-संवत्सर, को संवत्सर ही होगा।

गौमाता राष्ट्रमाता आंदोलन के ध्वजवाहक संत गोपाल मणि महाराज जी ने चारों पीठ के शंकराचार्य के उक्त मतों को लेकर के आज देहरादून में एक प्रेस वार्ता को संबोधित करते हुए कहा कि गौ माता राष्ट्र माता कहां आंदोलन अब प्रत्येक हिंदू के घर-घर पहुंच चुका है भारत में रहने वाले प्रत्येक व्यक्ति को इस बात को स्वीकार करना पड़ेगा कि भारत की राष्ट्रमाता केवल गौ ही है। आगे पूजा संत मणि महाराज ने कहा कि यहां लड़ाई विधि सम्मत है। संविधान के अनुच्छेद 25 की लड़ाई है जिसमें भारत में रहने वाले प्रत्येक व्यक्ति की आस्था के सम्मान की रक्षा करना भारत की सरकार का नैतिक कर्तव्य है तो इस देश में रहने वाले करोड़ों हिंदुओं की आस्था भारत की आत्मा गाय में है लेकिन वह गौ माता आज भी दुर्भाग्य से हजारों की संख्या में कत्लखानों में कट रही है इसलिए आवश्यक है कि भारत की सरकार गौ को राष्ट्र माता का संवैधानिक सम्मान दें ताकि गाय के ऊपर कोई गलत दृष्टि ना डाल सके और गौवंश दर-दर ना भटके।

उन्होंने कहा कि यह बड़े सौभाग्य की बात है कि हमारे सनातन धर्म के मूल चारों पीठ के पूज्य शंकराचार्यौं का आशीर्वाद एवं पूर्ण समर्थन तथा दिशा निर्देश में अब यह आंदोलन आगे बढ़ रहा है और हमें विश्वास है कि जब सनातन की सत्ता ने गाय को राष्ट्र माता के रूप में स्वीकार कर लिया है तो देश की सरकार को भी अब गाय को राष्ट्रमाता के रूप में स्वीकार करना ही होगा। इस अवसर पर आचार्य सीता शरण, आचार्य विपिन जोशी, आचार्य विजेंद्र ममगांई, विकास पाटनी, आचार्य शशिकांत दुबे, राष्ट्रीय प्रवक्ता एवं मीडिया प्रभारी डॉक्टर रामभूषण बिजलवाण प्रदेश अध्यक्ष भारतीय गौ क्रांति मंच शूरवीर सिंह मतुड़ा, पूर्व चारधाम उपाध्यक्ष यमुनोत्री रावल पवन उनियाल, आचार्य राकेश सेमवाल, सूरत राम डंगवाल ,आनंद सिंह रावत, यशवंत सिंह रावत, मंजू नेगी, माहेश्वरी जोशी आदि कई गणमान्य उपस्थित रहे।

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