अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस श्रृंखला : नरेन्द्रनगर पीजी कॉलेज में योग कार्यशाला का आयोजन

नरेन्द्रनगर। धर्मानंद उनियाल राजकीय महाविद्यालय नरेन्द्रनगर में राष्ट्रीय सेवा योजना इकाई के तत्वाधान में अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस श्रृंखला के तहत योग कार्यशाला का आयोजन किया गया। कॉलेज के प्राचार्य डॉo उमेश चंद्र मैठानी ने माँ सरस्वती के सम्मुख दीप प्रज्वलित कर कार्यक्रम का शुभारम्भ किया। इस मौके पर उन्होंने कहा कि योग दर्शन प्राचीन भारतीय सभ्यता का अभिन्न अंग रहा हैं, योग भारत की देन है और आज पूरा विश्व योग के महत्त्व को स्वीकार कर रहा है।

अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस श्रृंखला के अंतर्गत कॉलेज सभागार में आयोजित योग कार्यशाला में भाषण और पोस्टर प्रतियोगिताओं का आयोजन भी किया गया। बीoएo तृतीय वर्ष के छात्र और योग प्रशिक्षक संजय क्रषाली ने सभी छात्र/छात्राओं के साथ समस्त प्राध्यापकों एवं कर्मचारियों को सूर्यनमस्कार, पद्मासन, ताड़ासन, भुजंगासन, हलासन, सर्वागांसन आदि योगासनों का अभ्यास कराया। पोस्टर प्रतियोगिता में बीएo प्रथम वर्ष आरती ने प्रथम स्थान प्राप्त किया जबकि द्वितीय एवं तृतीय स्थान पर तनु और दीपक ड्यूडी रहें, वही भाषण प्रतियोगिता में शिवम ने प्रथम स्थान0 हासिल किया तो संजय क्रषाली और ईशान द्वितीय एवं तृतीय स्थान प्राप्त करने में कामयाब रहें।

कार्यक्रम का संचालन करते हुए राष्ट्रीय सेवा योजना के कार्यक्रम अधिकारी डॉ संजय कुमार ने बताया कि भारत सरकार के युवा कार्यक्रम और खेल मंत्रालय द्वारा इस वर्ष अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस श्रृंखला के तहत योग के प्रचार-प्रसार हेतु देशभर के सभी शैक्षणिक संस्थाओ में विभिन्न कार्यक्रम आयोजित किये जा रहे है। योग के महत्व पर प्रकाश डालते हुए कहा कि योग विद्यार्थी जीवन में संजीवनी के समान है। स्वस्थ शरीर में ही स्वस्थ मस्तिस्क निवास करता है। योग शरीर, मन और आत्मा को नियंत्रित कर शारीरिक और मानसिक अनुशासन का संतुलन बनाता है। हमें एकाग्रता बढ़ाने, भय, चिंता व तनाव से मुक्ति के लिए प्रतिदिन योग करना चाहिए।

इस मौके पर डॉ जितेन्द्र नौटियाल ने बताया कि प्रतिस्पर्धा के इस युग में योग सभी के लिए अनिवार्य हो गया है, अपने लक्ष्य की प्राप्ति तभी कर सकते है जब हम चिंता एवं तनाव से दूर रह सकें। उन्होने योग की विभिन्न विधाओं को बहुत सरल तरीके से छात्रों के साथ साझा किया।
डॉ. राजपाल रावत ने छात्र-छात्राओं को संबोधित करते हुए कहा कि योग बच्चों के मन-मस्तिस्क को कार्य के प्रति जागरूक करता है, इसलिए विद्यार्थियों को प्रारम्भ से ही योग शिक्षा देना बहुत जरुरी है। योग से बच्चों की सहनशीलता बढती है और मन शक्तिशाली होता है। योगभ्यास से मन-मस्तिष्क का संतुलन बना रहता है जिससे विद्यार्थियों में आत्मविश्वास बढता है और बच्चे मन लगाकर अध्ययन करते है।

इस मौके पर डॉ विक्रम बर्त्वाल और डॉ विजय प्रकाश ने बताया कि बच्चें आज इलेक्ट्रोनिक गैजेट्स पर ज्यादा समय व्यतीत कर रहे है जो कि शिक्षा के प्रति उदासीनता का प्रमुख कारण है इसलिए भी छात्रों को योग शिक्षा अनिवार्य है। साथ ही योग और प्रकृति का सम्बन्ध भी स्पष्ट किया। कार्यक्रम में डॉ हिमांशु जोशी ने भी छात्रों के साथ योग के विषय में महत्त्वपूर्ण जानकारी साझा की। पोस्टर और भाषण प्रतियोगिताओं में विजेता प्रतिभागियों को आयोजक मण्डल द्वारा अपनी ओर से ट्राफी, मैडल और प्रमाण- पत्र प्रदान किये गये।

कार्यक्रम में डॉ सपना कश्यप, डॉ संजय महर, डॉ सृचना सचदेवा, डॉ शैलजा रावत, डॉ चंदा टी नौटियाल, डॉ रश्मि उनियाल, डॉ नताशा, डॉ इरा सिंह, डॉ सोनिया गंभीर, डॉ ज्योति शैली, श्री विशाल त्यागी, श्री महावीर सिंह रावत, अजय भूपेंद्र, रमेश पुंडीर, जयनेंद्र आदि सभी प्राध्यापकगण एवं कर्मचारीगण के साथ सभी छात्र-छात्राएं उपस्थित रहें।

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