नई दिल्ली। रूस और यूक्रेन युद्ध का असर अब आम आदमी की जेब पर पड़ने वाला है। दरअसल पेट्रोल और डीजल के दाम बढ़ने जा रहे हैं। हाल ही में जारी रिपोर्टों की मानें तो पांच राज्यों में जारी विधानसभा चुनावों के ठीक बाद पेट्रोल और डीजल के दाम में तेज बढ़ोतरी संभव है। एक अनुमान के मुताबिक तेल के दामों में 15 से 22 रुपये तक वृद्धि हो सकती है।
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आम लोगों को जल्द ही एक बड़ा झटका लगने वाला है, जो उनके सफर से लेकर रसोई तक का बजट बिगाड़ सकता है। जी हां, रूस-यूक्रेन की बीच जारी जंग के चलते कच्चे तेल की कीमत में बेतहाशा वृद्धि का बड़ा असर दिखने में अब कुछ ही दिन बाकी रह गए हैं। हालिया, जारी रिपोर्टों में संभावना जताई गई है कि पांच राज्यों में जारी विधानसभा चुनावों के बाद या फिर चुनाव परिणाम सामने आने के बाद पेट्रोल और डीजल के दाम में बड़ा इजाफा हो सकता है। इससे जहां एक ओर सफर करना महंगा हो जाएगा, तो दूसरी ओर माल ढुलाई का खर्च भी बढ़ेगा, जिसका सीधा असर रोजमर्रा की चीजों पर पड़ेगा। बता दें कि साल 2022 की शुरुआत के साथ ही कच्चे तेल की कीमतों मे तेज उछाल आता गया।
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बीते सप्ताह में गुरुवार को ही अपने साल साल का रिकॉर्ड तोड़ते हुए बेंट क्रूड का भाव 2014 के बाद पहली बार भाव 100 डॉलर प्रति बैरल को पार कर गया था। इसके अलावा बीते चार महीनों की अगर बात करें तो इस दौरान ब्रेंट क्रूड के भाव में लगातार तेजी आई है। आंकड़ों पर नजर डालें तो दिसंबर में ब्रेंट क्रूड का भाव 10.22 फीसदी, जनवरी में 17 फीसदी, फरवरी में 10.7 फीसदी और मार्च में अब तक 16 फीसदी से ज्यादा बढ़ गया है। मॉर्गन स्टैनली के अनुसार, रूस-यूक्रेन युद्ध के कारण अभी इसमें और इजाफा हो सकता है। एक अनुमान के मुताबिक यदि रूस से तेल की आपूर्ति आगे भी बाधित रहती है तो कच्चा तेल 185 डॉलर प्रति बैरल तक पहुंच सकता है।
घाटे से उबरने के तेल कंपनियां बढ़ा सकती हैं दाम
वैश्विक बाजार में कच्चे तेल का भाव पिछले एक दशक के उच्च स्तर पर 117 डॉलर प्रति बैरल तक पहुंच गया, हालांकि शुक्रवार को इसमें कुछ नरमी जरूर आई, लेकिन इसके बावजूद भी यह उच्च स्तर पर बना हुआ है। कच्चे तेल की कीमतों के इजाफे के बाद भी देश में पेट्रोल और डीजल के दाम बीते चार महीनों से यथावत बने हुए हैं। ऐसे में तेल कंपनियों को तगड़ा नुकसान झेलना पड़ रहा है। आईसीआईसीआई सिक्योरिटीज की रिपोर्ट में घरेलू तेल कंपनियों के बढ़ रहे घाटे पर कहा है कि पिछले दो महीनों में विश्व स्तर पर कच्चे तेल के दाम तेजी से बढ़ने के चलते सरकार के स्वामित्व वाले रीटेल तेल विक्रेताओं को भारी नुकसान उठाना पड़ा रहा है। लिहाजा कंपनियां इसे कम करने के लिए देश की जनता पर बोझ डालने की तैयारी कर रही हैं।
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सरकार पर टिकी निगाँहें, राहत के लिए उठा सकती हैं ये कदम
चुनाव परिणामों के बाद अगर पेट्रोल और डीजल के दाम में इजाफा होता है तो सरकार की भी कोशिश रहेगी कि पहले से ही महंगाई की मार झेल रही जनता को कैसे राहत दी जाए। सरकार के पास यह विकल्प होगा कि वह पेट्रोल-डीजल पर टैक्स घटाकर कीमतों को संतुलित करे। और अगर सरकार ऐसा करती है तो इससे सरकार के कर राजस्व पर बड़ा असर पड़ेगा। देखना दिलचस्प होगा कि अगर ईंधन की कीमतें बढ़ती हैं तो सरकार जनता को राहत देने के लिए क्या करती है।