मुंबई। केंद्र सरकार सोमवार को संसद के शीत सत्र की शुरुआत पर तीनों कृषि कानूनों को वापस लेने वाला बिल ‘कृषि कानून निरसन विधेयक 2021’ लोकसभा में पेश करेगी। सरकार इसमें कहेगी कि हालांकि किसानों का एक छोटा समूह ही इन कानूनों का विरोध कर रहा है लेकिन समावेशी विकास के लिए सभी को साथ लेकर चलना समय की मांग हैं, इसलिए इन तीनों कानूनों को वापस लेने का प्रावधान किया जा रहा है। मंत्रिमंडल द्वारा मंजूर इस बिल को कृषिमंत्री नरेंद्र सिंह तोमर लोकसभा में पेश करेंगे। भाजपा और कांग्रेस ने 9 सभी सदस्यों को व्हिप जारी कर सदन में मौजूद रहने का निर्देश दिया है। मुंबई के आजाद मैदान में किसान व मजदूरों की महापंचायत रविवार को आयोजित हो रही है। इसमें सौ से अधिक संगठन शामिल होंगे और संयुक्त किसान मोर्चा के नेता महापंचायत को संबोधित करेंगे। 28 नवंबर को महात्मा ज्योतिराव फुले की पुण्यतिथि होती है।
यह भी पढें – जानिए, ओमीक्रॉन वेरिएंट को लेकर क्या हैं खतरे?
लोकतंत्र में बातचीत अहम, सरकार इससे भाग रही
संयुक्त किसान मोर्चा ने बातचीत से भागने पर सरकार की निंदा करते हुए कहा, लोकतंत्र में दोनों पक्षों की बात सुनना बेहद जरूरी है। इसके लिए सरकार को किसानों से बातचीत करनी चाहिए और उनकी समस्याओं को सुनकर उचित समाधान निकालना चाहिए। लेकिन सरकार ऐसा नहीं कर रही है।
संयुक्त राष्ट्र के विशेष दूत ने किया केंद्र सरकार के फैसले का स्वागत
भोजन के अधिकार को लेकर संयुक्त राष्ट्र के विशेष दूत माइकल फाकरी ने कृषि कानूनों को वापस लेने के केंद्र सरकार के फैसले का स्वागत किया। साथ ही सरकार से आंदोलन के दौरान मरने वालों की मौत के लिए जिम्मेदारी तय करने की भी अपील की है।
संसदीय समिति की बैठक टली, किसानों की आय दोगुनी करने पर होनी थी चर्चा
कृषि संबंधी स्थायी संसदीय समिति की बैठक कोरम के अभाव में शुक्रवार को स्थगित कर दी गई। बैठक में 29 में से केवल छह सदस्य ही बैठक के लिए उपस्थित हुए। बैठक में ‘किसानों की आय दोगुनी करने के बारे में चर्चा की जानी थी। बैठक में समिति अध्यक्ष पर्वतगौड़ा के अलावा प्रताप सिंह बाजवा, बीबी पाटिल, अबू ताहर खान, कैलाश सैनी, रामनाथ ठाकुर शामिल हुए। समिति के एक सदस्य ने कहा कि यह वाकई परेशान करने वाला है कि किसानों की आय दोगुनी करने जैसे महत्वपूर्ण विषय पर कोरम के अभाव में बैठक नहीं हो सकी।