क्या आप ऐसी आदिवासी जनजाति के बारे में जानते हैं जिसके नहाने पर है बैन..
खबर दुनिया की: विश्वभर में मानव प्रजाति तरक्की की राह पर है. बावजूद इसके दुनिया में आज भी ऐसी जनजातियाँ हैं जो अपने अजीबोगरीब रीति रिवाजों से बंधे हैं. उन्हें इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि यह कितना सही है और कितना गलत. ऐसे कई आदिवासी समुदाय हैं जो आज भी उसी तरह रह रहे हैं, जैसे स्टोन ऐज में इंसान रहता था.
इस आदिवासी समुदाय के नियम-कानून आज भी बहुत पुराने हैं. इनकी आदतों को देखकर कोई भी व्यक्ति इन्हें बेहद पिछड़ा कहते हैं. बावजूद इसके इन्होंने अपने रीति रिवाज़ और परम्पराओं को बचा कर रखा है. आज हम एक ख़ास आदिवासी समुदाय के बारे में बात करने जा रहे हैं, जो आज भी सदियों पुराने अपने नियमों को मानने के साथ ही उन्हें शिद्दत के साथ निभाते हैं.
यहाँ हम बात कर रहे हैं हिम्बा ट्राइब की. इस आदिवासी जनजाति के लोगों की जनसंख्या 50 हजार है. लेकिन इस ट्राइब में आज भी कुछ ऐसे नियम हैं, जिन्हें जानने के बाद आप हैरान हो जाएंगे. सबसे पहला और अटपटा नियम यह है कि यहाँ नहाने की सख्त मनाही है. लेकिन इनकी आदतें आज भी वही है जो सदियों पहले थी. दुनिया की तरक्की का इन पर कोई असर नहीं पड़ा है. इस ट्राइब में बाहर से आने वाले मेहमानों को खाने के साथ-साथ घर की महिलाएं परोसी जाती हैं.
हिम्बा ट्राइब के लोगों के अपने नियम-कानून हैं. ये आदिवासी जनजाति बाकी चीजों में सामान्य दिखती है. जैसे इस ट्राइब के लोग अपना पूरा दिन खाने की तलाश में बिताते हैं. मिलजुलकर काम करते हैं. अपने साथियों के घर को बनाने में मदद करते हैं. साथ ही इनका समय खेती में भी बीतता है. लेकिन कुछ ऐसे नियम है जो इन्हें अजीबो गरीब बना देते हैं जैसे इस ट्राइब में नहाने की मनाही है. जी हां, पानी से नहाने की जगह ये लोग धुंए से नहाते हैं. इसे स्मोक बाथिंग कहते हैं.
अजीबोगरीब पम्परा: मेहमानों को खाने के साथ यहाँ परोसते हैं महिलाएं
इसके अलावा इस ट्राइब की एक अजीब प्रथा है. जिसे सुनकर आप भी भौंचक्के रह जाएंगे. ये मानिए कि जिस तरह हमारे घर आए मेहमानों को चाय-नाश्ता और खाना ऑफर किया जाता है, उसी तरह इस ये आदिवासी लोग अपने घर आए मेहमानों को अपने घर की महिलाएं परोसते हैं. इसके लिए इनके घर में एक अलग कमरा होता है. खुद महिला का पति इस काम के लिए बीवी को भेजता है. ऐसा अपने रिश्ते में जलन की भावना को खत्म करने के लिए किया जाता है. ये आदिवासी लोग ज्यादातर खेती और पशु पालन करते हैं. आदिवासी जनजाति में महिलाओं की नहीं चलती और सारे फैसले घर के मर्द ही लेते हैं.