ADHIK MAAS 2023: 19 वर्षों बाद आया श्रावण अधिक मास का शुभ संयोग, भूल से भी न करें ये गलतियाँ, जानिए राशि अनुसार उपाय..
DHARM KARM : हिन्दू पंचांग के अनुसार मंगलवार से अधिक मास की शुरुआत हो गयी है। इस मास को मलमास भी कहते हैं। अधिक मास या मलमास क्या होता है, साथ ही इस वर्ष अधिक मास कब से लग रहा है. ऐसी ही जानकारी हम आपको देने वाले हैं.
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार सूर्य एक राशि से दूसरी राशि में जब प्रवेश करते हैं अर्थात गोचर करते हैं तो उसे संक्रांति कहते हैं। सूर्य का यह गोचर जिसे संक्रांति भी कहते हैं हर महीने में होती है। यानी कि सूर्य देव को एक राशि से दूसरी राशि में जाने में लगभग एक महीने का समय लगता है, लेकिन जिस महीने में सूर्य अपनी राशि नहीं बदलते हैं उसे मलमास या फिर अधिक मास कहा जाता है।
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार जिस महीने में सूर्य अपनी राशि नहीं बदलते हैं वह महीना मलिन हो जाता है, इस कारण इस महीने का स्वामी बनने को कोई भी देवता तैयार नहीं हुए। तब भगवान विष्णु ने इस महीने को अपनाया और इसके स्वामी बने। मान्यता है कि जो कोई व्यक्ति मलमास के दौरान भगवान विष्णु, महादेव, श्री कृष्ण व भगवान गणेश की पूजा करते हैं उनके जीवन से सभी पाप नष्ट होते हैं और उन्हें पुण्य फलों की प्राप्ति होती है।
बात करें इस वर्ष अधिक मास की तो, यह 18 जुलाई 2023 से प्रारंभ हो जाएगा और 16 अगस्त तक रहेगा। इस वर्ष अधिक मास लगने की वजह से साल 2023 में सावन का महीना दो महीनों का होने वाला है। साथ ही इस वर्ष कुल आठ सोमवार आएंगे, इस समय में महादेव की भक्ति और पूजा करके आप भी उनका आशीर्वाद प्राप्त कर सकते हैं।
हिंदुओं का कैलेंडर सूर्य और चंद्रमा की गणना के आधार पर तैयार किए जाते हैं। सौर कैलेंडर में 365 दिन और 6 घंटे का एक वर्ष होता है। वहीँ हर 4 साल में एक लीप ईयर होता है। लीप ईयर में फरवरी का महीना 28 की बजाय 29 दिनों का हो जाता है। वही चंद्र कैलेंडर की बात करें तो चंद्र कैलेंडर में 354 दिन होते हैं। यानी सौर कैलेंडर और चंद्र कैलेंडर के एक वर्ष में कुल 11 दिनों का अंतर होता है। कहा जाता है इसी अंतर को खत्म करने के लिए हर 3 साल पर चंद्र कैलेंडर में एक अतिरिक्त माह जुड़ जाता है और इसे ही अधिक मास के नाम से जाना जाता है।
दरअसल सनातन धर्म की मान्यताओं के अनुसार अधिक मास में कोई भी शुभ और मांगलिक कार्य नहीं किया जाता है। मान्यता है कि इस दौरान नामकरण संस्कार, विवाह संस्कार, यज्ञोपवीत, गृह प्रवेश, करना वर्जित होता है। यह 1 महीने का समय ऐसा समय होता है जिसे मलीन माना जाता है और इसे बहुत ही जगह पर पुरुषोत्तम मास भी कहते हैं।
मलमास में यह शुभ कार्य हैं वर्जित
मलमास या अधिक मास में कई कार्य वर्जित माने गए हैं. जैसे कि, इस दौरान शादी विवाह नहीं करना चाहिए। सगाई, घर का निर्माण, संपत्ति से जुड़ा कोई बड़ा काम, संपत्ति को खरीदना या बेचना, कर्णवेध संस्कार, मुंडन संस्कार नहीं करना चाहिए। मान्यता है कि यदि कोई भी मांगलिक कार्य कर भी लें तो हमें उसका पूर्ण फल जीवन में प्राप्त नहीं होता है।
मलमास में राशि अनुसार करें ये उपाय
मेष राशि: इस महीने में रोजाना भगवान विष्णु को केसर मिश्रित दूध दक्षिणावर्ती शंख में डालकर अर्पित करें।
वृषभ राशि: शनिवार के दिन सुबह स्नान करने के बाद पीपल के पेड़ में जल डालें और तेल का दीपक जलाएं।
मिथुन राशि: ‘यस्य स्मरण मात्रेन जन्म संसार बन्धनात्। विमुच्यते नमस्तमै विष्णवे प्रभविष्णवे॥’ इस मंत्र का स्पष्ट उच्चारण पूर्वक जप करें।
कर्क राशि: आश्विन शुक्ल पक्ष की नवमी को 5 कन्याओं को घर बुलाकर भोजन कराएं और इस भोजन में खीर अवश्य शामिल करें।
सिंह राशि: इस दौरान धार्मिक स्थल की यात्रा पर जरूर जाएं और विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ करें।
कन्या राशि: ‘नमः समस्त भूतानां आदि भूताय भूभृते। अनेक रुप रुपाय विष्णवे प्रभविष्णवे॥’ मंत्र का स्पष्ट उच्चारण पूर्वक जाप करें।
तुला राशि: मां लक्ष्मी की पूजा करें और उनके मंत्रों का जाप करें।
वृश्चिक राशि: मां लक्ष्मी की पूजा करें। एकादशी का व्रत करें और विष्णु मंदिर में दान करें।
धनु राशि: विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ करें और भगवान विष्णु की नियमित रूप से पूजा करें।
मकर राशि: गायत्री मंत्र का पाठ करें।
कुम्भ राशि: तुलसी के पेड़ में रोजाना जल अर्पित करें।
मीन राशि: ‘ईशानः प्राणदः प्राणो ज्येष्ठः श्रेष्ठः प्रजापतिः। हिरण्यगर्भो भूगर्भो माधवो मधुसूदनः।।’ मंत्र का स्पष्ट उच्चारण पूर्वक जप करें।