होलिका दहन 6 मार्च व रंगोत्सव 8 मार्च को मनाना शास्त्र सम्मत: आचार्य घिल्डियाल

ACHARYA CHANDI PRASAD GHILDIYAL
ACHARYA CHANDI PRASAD GHILDIYAL

देहरादून। इस वर्ष होलिका दहन 6 मार्च को सायंकाल प्रदोष काल में होगा, 7 मार्च को गुजिया बनेंगे एवं 8 मार्च को रंग उत्सव मनाया जाना शास्त्र सम्मत है। यह बात उत्तराखंड ज्योतिष रत्न आचार्य डॉक्टर चंडी प्रसाद घिल्डियाल ने बयान जारी करते हुए कहा।

होली के त्यौहार पर सोशल मीडिया पर चल रहे असमंजस का संज्ञान लेते हुए उत्तराखंड ज्योतिष रत्न आचार्य डॉक्टर चंडी प्रसाद घिल्डियाल का बड़ा बयान आज सामने आया है। उन्होंने स्पष्ट किया, कि शास्त्र के अनुसार होलिका दहन प्रदोष कालीन पूर्णमासी तिथि में ही होता है। अब रही भद्रा की बात तो यद्यपि भद्रा का पुच्चछ काल जिसे कार्यों के लिए शुभ माना जाता है, वह रात्रि 12:00 बजे के बाद शुरू हो रहा है, परंतु होलिका दहन 6 मार्च को सायंकाल (प्रदोष काल) में 6:21 से 8:21 के मध्य किया जाना ही शास्त्र सम्मत है।

मंत्रों की ध्वनि को यंत्रों में परिवर्तित करने का विज्ञान विकसित करने वाले अंतर्राष्ट्रीय ख्याति प्राप्त ज्योतिष वैज्ञानिक डॉक्टर चंडी प्रसाद घिल्डियाल आगे बताते हैं, कि 7 तारीख को भी पूर्णमासी तिथि दिन भर है। इसलिए उस दिन लोग मिठाई बना सकते हैं, परंतु प्रदोष काल में पूर्णमासी ना होने से उस दिन होलिका दहन नहीं हो सकता है।

डॉ. घिल्डियाल बताते हैं, कि शास्त्रों के अनुसार रंगोत्सव प्रतिपदा तिथि में मनाया जाना शास्त्र सम्मत है। इसलिए 8 मार्च को ही होली के रंग खेले जाएंगे। उन्होंने उत्तराखंड सरकार के 7 एवं 8 मार्च को अवकाश रखने के निर्णय को अत्यंत विवेकपूर्ण निर्णय बताया।

यह पूछे जाने पर कि कुछ हिंदू पंचांग 6 तारीख मार्च की रात्रि 4:00 बजे से सुबह 6:00 बजे के बीच होलिका दहन की बात कर रहे हैं, और केंद्र सरकार ने भी 8 मार्च का अवकाश रखा है। डॉ घिल्डियाल ने स्पष्ट किया कि दरअसल संपूर्ण उत्तर भारत के पश्चिमी इलाके में और दक्षिण भारत में प्रदोष काल 6 तारीख को प्राप्त हो रहा है ,परंतु चंद्रमा की गति के अनुसार पूर्वी उत्तर प्रदेश और कुछ इलाकों में उस दिन प्रदोष प्राप्त ना होने से काशी के पंचांग ने यह व्यवस्था दी है, तो वहां के हिसाब से उन्होंने भी शास्त्र सम्मत बात ही की है। उसी आधार पर केंद्र सरकार ने 8 तारीख को अवकाश किया है।

होली जैसा त्यौहार पूरे देश में अब अलग-अलग तरीके से 2 दिन मनाया जा रहा है ,क्या यह उचित है? इस सवाल के जवाब में व्यास पीठ पर आसीन होने वाले आचार्य घिल्डियाल ने बताया कि त्यौहार में वृद्धि होना पूरे राष्ट्र के लिए अत्यंत शुभ होता है. इसलिए इसको अन्यथा नहीं लेना चाहिए. रंगो के त्यौहार को पूरे उत्साह के साथ शास्त्र सम्मत ही मनाना चाहिए.

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