UKSSSC भर्ती घोटाले में STF को बड़ी कामयाबी, 6 आरोपी दबोचे
देहरादून। उत्तराखंड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग (UKSSSC) के भर्ती घोटाले में धांधली की जांच कर रही उत्तराखंड एसटीएफ को बड़ी कामयाबी हाथ लगी है। एसटीएफ ने भर्ती घोटाले में 6 आरोपियों को गिरफ्तार कर उनसे करीब 37 लाख रुपए बरामद किए हैं। डीजीपी अशोक कुमार ने एसटीएफ की इस उपलब्धि की सराहना की है।
बता दें कि करीब 1 लाख 60 हजार युवाओं ने यह परीक्षा दी थी। परीक्षा परिणाम आने के बाद कई छात्र संगठनों ने परीक्षा में गड़बड़ी की आशंका जताई थी और मुख्यमंत्री से मुलाकात करके इस मामले की जांच कराने की मांग को लेकर ज्ञापन भी सौंपा था। मुख्यमंत्री के निर्देश के बाद डीजीपी ने मामले की जांच एसटीएफ को सौंपी थी।
इस मामले में उत्तराखंड एसटीएफ की टीम ने 6 लोगों को दबोचा है। इनमें परीक्षा करवाने वाली कंपनी के तकनीकी कर्मी, आयोग के होमगार्ड, कोचिंग संचालक और कुछ अभ्यर्थी शामिल हैं। एसटीएफ के डीआईजी सेंथिल अबुदई कृष्णराज एस ने ने बताया कि उत्तराखंड में अधीनस्थ चयन सेवा आयोग की ओर से वर्ष 2021 में स्नातक स्तरीय परीक्षाएं संचालित की गई थी।
परीक्षा परिणाम के बाद कई छात्र संगठनों ने मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी से मिलकर उनके समक्ष परीक्षा में गड़बड़ी की आशंका जताई थी और मामले में कार्रवाई को लेकर ज्ञापन सौंपा था। मामले की तह तक पहुँचते हुए एसटीएफ ने 6 लोगों को गिरफ्तार किया। डीआईजी सेंथिल अबुदई ने बताया कि पूछताछ में आरोपितों ने बताया कि मनोज जोशी पुत्र बाल किशन जोशी निवासी ग्राम मयोली, थाना दन्या, जिला अल्मोड़ा 2014-2015 से 2018 तक रायपुर स्थित अधीनस्थ चयन सेवा आयोग में पीआरडी के रूप में तैनात था।
2018 में विभागीय शिकायत पर उसे आयोग से हटा दिया गया। इससे पूर्व वह 12 साल तक लखनऊ की एक प्रिंटिंग प्रेस में काम करता था। जबकि देहरादून के पंडितवाड़ी, थाना कैंट निवासी जयजीत दास आउटसोर्स कंपनी आरएमएस टेक्नो सॉल्यूशंस इंडिया प्रालि के माध्यम से कंप्यूटर प्रोग्रामर के रूप में 2015 से यहां कार्यरत था। यह कंपनी अधीनस्थ चयन सेवा आयोग के गोपनीय का काम करती थी। इसके चलते जयजीत दास की पहचान मनोज जोशी से हुई।
आयोग कार्यालय में मनोज जोशी पुत्र रमेश जोशी निवासी ग्राम पाटी, जिला चंपावत का परीक्षाओं के कार्यक्रम को लेकर आता जाता था। इसके चलते उसकी पहचान पीआरडी मनोज जोशी से हुई। मनोज जोशी विभिन्न परीक्षाओं की तैयारी कर रहा था। इस कारण उसका आरोपी कुलवीर सिंह चौहान पुत्र सुखवीर सिंह निवासी चांदपुर बिजनौर उप्र से मुलाकात हुई। कुलवीर देहरादून के करनपुर में संचालित डेल्टा डिफेंस कोचिंग इंस्टीट्यूट-एकेडमी सेंटर से कोंचिग कर रहा था।
बाद में वह यहीं पढ़ाने लगा। वह कोचिंग सेंटर में डायरेक्टर के पद पर भी तैनात था। कुलवीर के माध्यम से शूरवीर सिंह चौहान पुत्र अतर सिंह चौहान निवासी कालसी, देहरादून की पहचान मनोज जोशी से हुई। वहीं, सितारगंज में गौरव नेगी पुत्र गोपाल सिंह निवासी नजीबाबाद किच्छा, ऊधमसिंह नगर की मुलाकात मनोज जोशी से हुई, जो किच्छा में ही प्राईवेट स्कूल में शिक्षक था और ग्रुप सी में स्नातक स्तर की परीक्षाओं की तैयारी कर रहा था।
शूरवीर व कुलवीर ने अपने जान पहचान के परीक्षार्थियों के संबंध में मनोज जोशी को बताया था। इस पर मनोज जोशी ने दूसरे मनोज जोशी के साथ मिलकर कंप्यूटर प्रोग्रामर जयजीत दास से पेपर लीक कराने के संबंध में बातचीत की। जिसके लिए जयजीत दास को मनोज के माध्यम से 60 लाख रुपए दिए गए। जयजीत दास यूकेएसएससी में जाकर पेपरों की सेटिंग और अन्य तकनीकी कार्यों के कारण परीक्षा के प्रश्न निकाल लेता था।
फिर उन प्रश्नों को मनोज जोशी के माध्यम से मनोज जोशी, कोचिंग डायरेक्टर कुलवीर सिंह चौहान, शूरवीर सिंह चौहान, गौरव आदि के माध्यम से परीक्षा में शामिल परीक्षार्थियों को परीक्षा की तिथि से एक दिन पहले रामनगर स्थित एक रिसोर्ट में पेपर लीक किया जाता था। रिसोर्ट में लीक प्रश्नों को याद कराकर छात्रों को अगली सुबह एग्जाम सेंटर तक छोड़ दिया जाता था।