हरीश रावत के ट्वीट से मचा बवाल, अपनी ही पार्टी में किसे बताया सत्ता का मगरमच्छ?
अभिज्ञान समाचार/ देहरादून। उत्तराखंड की राजनीति में आए दिन कुछ न कुछ नया बवाल खड़ा हो रहा है। कभी सत्ता पक्ष तो कभी विपक्ष के बड़े नेताओं को लेकर नई नई बातें सामने आ रही हैं। इन सभी को आगामी विधानसभा चुनाव के मद्देनजर पार्टी के भीतर की नाराजगी वा गहमागहमी माना जा रहा है। ऐसा ही कुछ उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस के कद्दावर नेता हरीश रावत ने अचानक ट्वीट किया कि उसके बाद उत्तराखंड के सियासी हलकों में बवंडर मच गया है।
दरअसल हरीश रावत ने अपने चिर परिचित अंदाज में शब्दों की कलाकारी दिखाते हुए ट्विटर पर पोस्ट किया कि चुनाव रूपी समंदर में उन्हें अपने संगठन से ही कुछ ऐसे मगरमच्छों से परेशानी है जो कि अपने खेमे को ही नुकसान पहुंचा रहे हैं। हरीश रावत के किए गए इन ट्वीट्स के जानकार कई तरह के मायने लगा रहे हैं। एक तरफ राजनीतिक जानकारों का यह मानना है कि हरीश रावत जरूर अपने ही किसी नेता से परेशान है जिस वजह से उनके मन का यह उबाल ट्विटर पर देखने को मिला है। तो वही सवाल यह भी है कि हरीश रावत का यह सारा अपने कौन से नेता की तरफ है। कई लोग इस ट्वीट को उत्तराखंड कांग्रेस प्रभारी देवेंद्र यादव से जोड़कर देख रहे हैं तो वही कुछ लोगों का यह भी मानना है कि हरीश रावत राजनीति में एक कद्दावर खिलाड़ी हैं। और उनके द्वारा कहे गए शब्दों के कई मायने हैं।
एक पक्ष का यहां तक मानना है कि हरीश रावत ने यह ट्वीट बहुत सोच-समझकर किया है और इस ट्वीट के जरिए वह अपने एक तीर से कई निशाने कर सकते हैं जिसको की भविष्य में देखना काफी रोचक होगा।जहां एक तरफ राजनीतिक जानकार इस बात की खोज में लग गए हैं कि आखिर हरीश रावत ने अपने खेमे में मगरमच्छ किसे कहा है तो दूसरी तरफ भाजपा ने भी इस मौके को लपक लिया है। उत्तराखंड भाजपा ही नहीं बल्कि बीजेपी की नेशनल टीम ने भी हरीश रावत के इस ट्वीट पर पलटवार करना शुरू कर दिया है, और केंद्रीय भाजपा का तो यहां तक कहना है कि क्या हरीश रावत का यह इशारा उनके केंद्रीय नेता सोनिया गांधी और राहुल गांधी की तरफ तो नहीं।
भाजपा के बड़े नेता ने दिल्ली से बयान दिया कि हरीश रावत सत्ता के बड़े मगरमच्छ क्या सोनिया गांधी या राहुल गांधी को कह रहे हैं? उन्हें स्पष्ट करना चाहिए! तो वही प्रदेश भाजपा से भी भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष मदन कौशिक ने हरीश रावत के इस ट्वीट पर पलटवार करते हुए कहा कि कॉन्ग्रेस ही यह अंतर करे, बहुत पुरानी है! उन्होंने कहा कि सदन के भीतर कांग्रेस के 11 विधायक थे और 10 गुट बने हुए थे। उन्होंने कहा कि इन 5 सालों में कांग्रेस ने जन सरोकारों के मुद्दों को उठाना था लेकिन वह अपने ही झगड़े में उलझी रही।