सुप्रीम कोर्ट ने मुम्बई हाईकोर्ट का फैसला पलटा, जानें क्या कहा?

अभिज्ञान समाचार।

नई दिल्ली। बच्चों को गलत नीयत से छूने के एक मामले मे मुंबई हाई कोर्ट के एक विवादित फैसले को पलटते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि बच्चों को यदि गलत नियत से छुआ भी जाता है तो वह पोक्सो कानून के तहत अपराध है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि यौन हमले का सबसे बड़ा कारण यौन मंशा है। बच्चों की त्वचा से त्वचा का संपर्क नहीं।

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जस्टिस यूयू ललित, रविंद्र भट्ट और बेला त्रिवेदी की तीन सदस्यीय पीठ ने मुंबई हाई कोर्ट का आदेश निरस्त करते हुए, स्पष्ट कहा कि शरीर के निजी अंग को छूना या यौन इरादे से किया गया शारीरिक संपर्क का कोई भी कृत्य पोक्सो की धारा-7 के तहत यौन उत्पीड़न ही होगा। तीन सदस्यीय पीठ ने कहा; किसी भी कानून का मकसद अपराधी को कानून के चंगुल से बचने की अनुमति देना नहीं हो सकता। बता दें कि नागपुर पीठ की न्यायाधीश पुष्पा गनेड़ीवाला ने एक मामले में कहा था कि त्वचा से त्वचा के सीधे संपर्क के बिना नाबालिग के निजी अंगों को छूना पोक्सो एक्ट के अंतर्गत यौन अपराध नहीं माना जा सकता। व्यक्ति ने कपड़े हटाए बिना बच्ची को पकड़ा, इसलिए इसे यौन उत्पीड़न नहीं कहा जा सकता। लेकिन यह भारतीय दंड संहिता की धारा 354 के तहत एक महिला की गरिमा भंग करने का अपराध है। बता दें कि मामले में आरोपी को बरी कर दिया गया था।

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