महागौरी की आराधना से मिलता है सुख, सौभाग्य और समृद्धि का आशीर्वाद
अभिज्ञान समाचार/धर्म-कर्म।
शारदीय नवरात्रि में महाष्टमी व्रत या दुर्गा अष्टमी व्रत का विशेष महत्व होता है। जो लोग नवरात्रि के प्रारंभ वाले दिन व्रत रखते हैं, वे दुर्गा अष्टमी का भी व्रत रखते हैं। दुर्गा अष्टमी के दिन मां दुर्गा के महागौरी स्वरुप की आराधना की जाती है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, भगवान शिव को पाने के लिए कई वर्षों तक मां पार्वती ने कठोर तप किया था, जिससे उनके शरीर का रंग काला हो गया था। जब भगवान शिव उनकी तपस्या से प्रसन्न हुए तो उन्होंने उनको गौर वर्ण का वरदान भी दिया। इससे मां पार्वती महागौरी भी कहलाईं। महाष्टमी या दुर्गा अष्टमी को व्रत करने और मां महागौरी की आराधना करने से व्यक्ति को सुख, सौभाग्य और समृद्धि भी मिलती है। सब पाप भी नष्ट हो जाते हैं। आइए जानते हैं कि दुर्गा अष्टमी की सही तिथि, व्रत एवं पूजा विधि, मंत्र आदि क्या हैं? दुर्गा अष्टमी के दिन कई स्थानों पर कन्या पूजन और हवन भी किया जाता है।
हिन्दू कैलेंडर के अनुसार आश्विन मास के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि को ही महाष्टमी या दुर्गा अष्टमी मनाई जाती है। इस वर्ष आश्विन शुक्ल अष्टमी तिथि का प्रारंभ आज 12 अक्टूबर दिन मंगलवार की रात 09:47 बजे से हो रहा है, जो 13 अक्टूबर दिन बुधवार को रात 08:07 बजे तक है। ऐसे में दुर्गा अष्टमी का व्रत 13 अक्टूबर दिन बुधवार को रखा जाएगा। इस दिन ही मां महागौरी की पूजा की जाएगी।