बड़ी खबर: विभागीय मंत्री नाराज, राष्ट्रीय शिक्षा नीति पर गठित प्रकोष्ठ रद्द करने के निर्देश
अभिज्ञान समाचार/ देहरादून।
उत्तराखंड में विद्यालय शिक्षा को लेकर बड़ी खबर सामने आ रही है। राष्ट्रीय शिक्षा नीति को उत्तराखंड में प्रभावी तरीके से क्रियान्वित करने के लिए शिक्षा सचिव की निगरानी में बनाए गए प्रकोष्ठ को गैर जरूरी मानते हुए प्रदेश के शिक्षा मंत्री ने इसे रद्द करने के निर्देश दिए हैं। विद्यालय शिक्षा के विभिन्न मुद्दों एवं शिक्षा की गुणवत्ता को लेकर बनाई गई 13 सदस्य प्रकोष्ठ को हाल ही में 26 अक्टूबर को गठित किया गया था।
सूत्रों की माने तो प्रकोष्ठ के गठन के लिए शिक्षा मंत्री से अनुमोदन भी नहीं लिया गया। शिक्षा सचिव बीवीआरसी पुरुषोत्तम ने कहा है कि वह प्रकोष्ठ की जरूरत के संबंध में शिक्षा मंत्री के समक्ष वस्तुस्थिति रखेंगे। विद्यालय शिक्षा को लेकर हो रहे बदलाव पर शिक्षा मंत्री का रुख देखकर सभी हैरान हैं। इस प्रकरण पर शिक्षा मंत्री को अनुमोदन के सम्बंध मे न पूछा जाना बड़ा कारण माना जा रहा है। प्रकोष्ठ पर आपत्ति के पीछे यह भी मुख्य कारण बताया जा रहा है। बता दें कि शासन तबादलों के लिहाज से मौजूदा सत्र को शून्य घोषित कर चुका है। इसी के मद्देनजर प्रकोष्ठ में शिक्षकों, प्रधानाध्यापक, शिक्षाधिकारियों और लिपिकों की तैनाती पर शिक्षा मंत्री अरविंद पांडेय बिफर गए हैं।
उन्होंने कहा कि एनईपी को लेकर एससीईआरटी पहले से कार्यरत है और टास्क फोर्स का गठन भी किया गया है। ऐसे में प्रकोष्ठ के गठन का औचित्य नहीं रह जाता। विश्वस्त सूत्रों की माने तो उन्हें प्रकोष्ठ में शामिल शिक्षकों व शिक्षाधिकारियों के नाम पर भी आपत्ति है। लिहाजा उन्होंने दूरभाष पर शिक्षा सचिव से वार्ता कर प्रकोष्ठ रद करने के निर्देश दिए। सचिव बीवीआरसी पुरुषोत्तम ने इसकी पुष्टि की है। उन्होंने कहा कि प्रकोष्ठ का गठन मुख्य सचिव डॉ एसएस संधू की अध्यक्षता में हुई बैठक में लिया गया है। इसकी जरूरत के बारे में वह विभागीय मंत्री के सामने पक्ष रखेंगे।