बैकुंठ चतुर्दशी मेला: 80 निसंतान दंपत्तियों ने खड़ दीया पूजन कर भगवान कमलेश्वर से मांगा संतान का वर
अभिज्ञान समाचार/ श्रीनगर (गढ़वाल)। श्रीनगर गढ़वाल स्थित कमलेश्वर महादेव मंदिर में हर वर्ष की तरह इस बार भी बैकुंठ चतुर्दशी मेला आरंभ हो गया है। इसके साथ ही पकार्तिक शुक्ल चतुर्दशी पर होने वाला खड़ दीया अनुष्ठान विधि-विधान एवं प्राचीन मान्यताओं के साथ आयोजित किया गया। इस मौके पर 80 निसंतान दंपत्तियों ने खड़ दीया पूजन किया। श्रद्धालुओं ने रात-भर मंदिर में भजन कीर्तन कर कमलेश्वर महादेव से क्षेत्र एवं देश-प्रदेश की सुख समृद्धि की कामना की।
सुबह से ही कमलेश्वर महादेव मंदिर में श्रद्धालुओं का तांता लगना शुरू हो गया था। देर शाम तक मंदिर में दर्शनों के लिए श्रद्धालुओं की लंबी लाइन लग गई। मंदिर के महंत आशुतोष पुरी ने गोधुली की बेला (शाम साढ़े पांच बजे) पर पहला दीपक जलाकर खड़ दीया पूजन की रश्म का शुभारंभ किया। इस मौके पर दूर-दराज से पहुंचे निसंतान दंपत्तियों ने पूरी रात हाथों में जलता हुआ दीपक रखकर भगवान कमलेश्वर महादेव से संतान प्राप्ति का आशीर्वाद लिया।कमलेश्वर सेवा दल के सदस्यों व पुलिस प्रशासन ने मंदिर में व्यवस्था बनाने में सहयोग दिया। मंदिर के महंत आशुतोष पुरी ने आयोजन में सहयोग करने वालों का आभार जताया।
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जानें मान्यता
पौराणिक धार्मिक मान्यताओं के अनुसार जब देवता दानवों से पराजित हो गए, तब वह भगवान विष्णु की शरण में गए। जिस पर दानवों पर विजय प्राप्त करने के लिए भगवान विष्णु यहां भगवान शिव की तपस्या करने आए। पूजा के दौरान वह शिव सहस्रनाम के अनुसार शिवजी के नाम का उच्चारण कर सहस्र (एक हजार) कमलों को एक-एक करके शिवलिंग पर चढ़ाने लगे। विष्णु की परीक्षा लेने के लिए शिव ने एक कमल पुष्प छुपा लिया। एक कमल पुष्प कम होने से यज्ञ में कोई बाधा न पड़े, इसके लिए विष्णु ने अपना एक नेत्र निकालकर अर्पित करने का संकल्प लिया। इससे प्रसन्न होकर शिव ने भगवान विष्णु को अमोघ सुदर्शन चक्र दिया। जिससे विष्णु ने राक्षसों का विनाश किया। सहस्र कमल चढ़ाने की वजह से इस मंदिर को कमलेश्वर महादेव मंदिर कहा जाने लगा। इस पूजा को एक निसंतान दंपति देख रहे थे। मां पर्वती के अनुरोध पर शिव ने उन्हे संतान प्राप्ति का वर दिया। तब से यहां कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी (बैकुंठ चतुर्दशी) की रात संतान की मनोकामना लेकर लोग पहुंचते हैं।