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“कुट्टू का आटा प्रोटीन से भरपूर होता है। यही नहीं इसमें मैग्नीशियम, फॉलेट, जिंक, विटामिन-बी, आयरन, कैल्शियम, कॉपर, मैग्नीज और फासफोरस पाया जाता है।”
आज नवरात्रि का दूसरा दिन है। इस दिन माँ नवदुर्गा के दुसरे रुप अर्थात माँ बृह्म्चारिणी की आराधना होती है। नौ दिनों तक माता के भक्त उपवास भी रखते हैंं। इस दौरान फलाहार ही लिया जाता है। आज आपको बताते हैं कि उपवास में फलाहार के रूप में कुट्टू का आटा क्यों प्रयोग में लाया जाता है।
गेंहूं, बाजरा, मक्का… इस तरह के अनाज के आटे की रोटी तो आपने खाई होगी, लेकिन व्रत वगैरह में आप जब फलाहार में होते हैं, तो इनका सेवन नहीं कर सकते। ऐसे में आप बगल के किराना स्टोर से खरीद लाते हैं- कुट्टु का आटा. व्रत में पूड़ी, पराठा, चीला वगैरह बनाने के लिए कुट्टु के आटे (Kuttu ka Atta) का इस्तेमाल किया जाता है। क्या आप जानते हैं कि यह कुट्टु क्या होता है और क्यों इसकी गिनती फलाहार में होती है।
अंग्रेजी में कुट्टू को Buckwheat कहा जाता है, लेकिन इसका अनाज से कोई संबंध नहीं है। गेहूं, अनाज में आता है, जबकि कुट्टू की गिनती फल में होती है। इस बकव्हीट का लैटिन नाम फैगोपाइरम एस्कलूलेंट है। यह पोलीगोनेसिएइ परिवार का पौधा है। बकव्हीट पौधे से प्राप्त यह फल तिकोने आकार का होता है। इसे पीसकर आटा तैयार किया जाता है।
बकव्हीट का पौधा ज्यादा बड़ा नहीं होता है। इसमें गुच्छों में फल और फूल आते हैं। यह देश के बहुत कम हिस्से में उगाया जाता है। हिमालय के पर्वतीय हिस्सों जम्मू-कश्मीर, हिमाचल, उत्तराखंड, दक्षिण के नीलगिरी में और नॉर्थ ईस्ट स्टेट्स में उगाया जाता है।
कुट्टू का आटा प्रोटीन से भरपूर होता है। यही नहीं इसमें मैग्नीशियम, फॉलेट, जिंक, विटामिन-बी, आयरन, कैल्शियम, कॉपर, मैग्नीज और फासफोरस पाया जाता है। इसमें फाइटोन्यूट्रिएंट रूटीन भी पाया जाता है जो कोलेस्ट्रोल और ब्लड प्रेशर कम करता है।
फलाहार में इसकी गिनती होने के कारण नवरात्र और अन्य व्रत त्योहारों में इसकी मांग बढ़ जाती है। कुट्टु का आटा का सेवन करने से व्रत करने वाले लोगों में एनर्जी बनी रहती है। कुट्टु का आटा कई कंपनियां बनाने लगी है। अब बाजार में कई ब्रांड के ऐसे प्रॉडक्ट उपलब्ध हैं।